दुनिया भर में फैली कोरोना वायरस से बचाने के लिए अभी केवल वैक्सीन ही एक मात्र उपाय है। कोरोना के खिलाफ मौजूदा टीको के आलाव नए-नए टीकों पर भी शोध किया जा रहा है। वहीं अब वैज्ञानिक नेजल वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इंट्रामस्क्युलर टीकों से तुलना में नेजल वैक्सीन ज्यादा प्रभावी मानी जा रही है।
मील का पत्थर साबित हो सकती है नेजल वैक्सीन
नेजल वैक्सीन पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि, भविष्य में नेजल वैक्सीन मील का पत्थर साबित होगी। इस वैक्सीन के आने के बाद इंस्ट्रामस्क्युलर वैक्सीन के साथ इसका मेल कोरोना वायरस के इलाज में एक गेमचेंजर साबित होगा। अभी जो मार्किट में टीके हैं उन्हें लेकर खुद डॉक्टर यह कह चुके हैं वैक्सीन इस बात की गारंटी नहीं देती कि आपको वायरस से संक्रमण नहीं होगा लेकिन अगर आपने वैक्सीन लगवाई है तो वायरस आपको अधिक गंभीर नहीं कर पाएगा।
नेजल वैक्सीन को लेकर जारी है रिसर्च
मौजूदा समय में नेजल वैक्सीन का परीक्षण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, अल्टीम्यून, हांगकांग विश्वविद्यालय, मीसा वैक्सीन, कोडाजेनिक्स और क्यूबा के सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी द्वारा किया जा रहा है। भारत बॉयोटेक की फाउंडर कृष्णा एला ने कहा कि हम उम्मीद है कि नेज़ल वैक्सीन को लेकर हमें अगले दो से तीन महीने ममें अच्छे रिजल्ट मिलेंगे।