कोरोना काल में डॉक्टरों पर होने वाली हिंसा के कई मामले सामने आए, जिसका समाधान निकालते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखा है। इसमें केंद्र ने डॉक्टर्स और हेल्थवर्कर्स को सुरक्षा देने को कहा है। साथ ही केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ केस दर्ज हो और महामारी अधिनियम 2020 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो
गृह सचिव अजय भल्ला ने यह पत्र लिखा है और हेल्थकेयर वर्कर्स के खिलाफ हो रहीं हिंसक घटनाओं से मनोबल गिरने की बात कही हैं। साथ ही वे लिखते हैं कि इन घटनाओं से हेल्थवर्कर्स में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है उनके लिए सुरक्षित माहौल बनाया जाना चाहिए। हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी हो। राज्यों का फर्ज बनता है कि ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं। ऐसे मामलों का निपटारा जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। केंद्रीय गृह सचिव ने पत्र में लिखा है कि सोशल मीडिया में आपत्तिजनक कंटेंट पर कड़ी नजर रखनी होगी, जिससे हिंसा की स्थिति पैदा न हो। डॉक्टरों का योगदान बताने के लिए अस्पतालों और सोशल मीडिया में पोस्टर जारी करना चाहिए, जिससे उनका मनोबल बढ़ाया जा सके।
दोषी को नहीं मिलती जमानत
एपिडेमिक एक्ट (महामारी अधिनियम) के तहत यदि किसी व्यक्ति को मेडिकल स्टॉफ से हिंसा करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है। सजा पाने वाले व्यक्ति पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लागाया जा सकता है। इसे पीड़ित को पहुंचे नुकसान के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है। ज्यादा नुकसान होने पर सजा को बढ़ाकर 7 साल किया जा सकता है। इसमें जुर्माने की रकम बढ़कर 5 लाख रुपए हो जाती है। इसे गंभीर अपराध माना जाता है और सजा मिलने पर जमानत की गुंजाइश नहीं होती है।