स्पोर्ट्स डेस्क. कोई कल्पना कर सकता है कि दो बार की चैंपियन और तीन दशक यानी 30 साल तक वर्ल्ड क्रिकेट में राज करने वाली टीम मौजूद वर्ल्ड कप में दिखाई नहीं देगी। गारफील्ड सोबर्स, लांस गिब्स, गॉर्डन ग्रीनिज, जॉर्ज हेडली, ब्रायन लारा, क्लाइव लॉयड, मैल्कम मार्शन, एंडी रॉबर्ट्रस, एल्विन कालीचरण, रोहन कन्हई, फ्रैंक वॉरेल, क्लाइड वॉल्कोट, एवर्टन वीकस, कर्टली एम्ब्रोस, माइकल होल्डिंग, कोर्टनी वॉल्स, जोएल गार्नर और विवियन रिचर्ड्स जैसे दुनिया के महान खिलाड़ी देने वाला 'वेस्टइंडीज' वर्ल्ड कप से बाहर रहेगा। लेकिन यह कड़वा सच है। कैरेबियन टीम भारत में गुरुवार, 5 अक्टूबर से शुरू हुए वर्ल्ड में 10 टीमों में कहीं नहीं है।
आखिर वेस्टइंडीज क्रिकेट को क्या हुआ? कहां पीछे रह गया कैरेबियन क्रिकेट? अगर जल्दी ही इन सवालों के जवाब नहीं ढूंढ़े गए तो वर्ल्ड क्रिकेट को बड़ा नुकसान हो सकता है। यहां सिर्फ वेस्टइंडीज के गौरवशाली इतिहास की बात नहीं है। बात क्रिकेट की भी नहीं है। समय के साथ क्रिकेट आगे बढ़ता जाएगा। आने वाले साल में नई टीमें आएंगी और अपना इतिहास बनाएंगी, पर वेस्टइंडीज के दुनिया के बड़े मंच पर मौजूद नहीं रहने से क्रिकेट को जो आघात पहुंचेगा। उसका आकलन अभी ठीक से नहीं किया जा सकता है।
वर्ष 1970 और 1980 का दशक वेस्टइंडीज क्रिकेट का स्वर्ण काल था, तो 1990 का दशक इसके नीचे जाने की गवाही देता रहा। वेस्टइंडीज टीम से पहले 3 वर्ल्ड कप में विरोधी टीमें घबरातीं थीं, दहशत खाती थीं। वह अगले 9 वर्ल्ड कप में एक बार भी फाइनल जगह नहीं बना सकी और अब वह वर्ल्ड कप से बाहर ही हो गई है।
आइए, अब जानते हैं वेस्टइंडीज क्रिकेट के साथ ऐसा क्यों हुआ कि दुनिया की नंबर वन टीम टॉप-10 टीमों में भी जगह नहीं बना पाई और क्रिकेट के महाकुंभ से बाहर है। हमें इसकी तीन वजह समझ आईं हैं, आपको भी बताते हैं-
1. टीम के सलेक्शन में लगातार गड़बड़ियां
वेस्टइंडीज क्रिकेट के बारे में एक बात सन 2000 के दशक से ही कही जा रही है कि इसका बोर्ड खिलाड़ियों को मैनेज नहीं कर पा रहा है। खिलाड़ियों के चयन में अक्सर भेदभाव की बात उठती। यदि कोई क्रिकेट अधिक सुविधाओं या पैसों की मांग कर लेता तो उसे टीम से बाहर कर दिया जाता था या है। कई बार देखा गया कि टीम के स्टार क्रिकेटर सिर्फ इसलिए टीम में शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्होंने सलेक्शन कमेटी या किसी बड़े खिलाड़ी के खिलाफ बयान दे दिया था। शुरुआत में ऐसा एक-दो खिलाड़ियों के साथ हुआ। फिर यह पूर ग्रुप अथवा टीम के साथ होने लगा। नतीजा स्टार क्रिकेटर भी बार्ड के प्रति उतने वफादार नहीं रहे। बोर्ड और प्लेयर्स के बीच में मनमुटाव प्रतिद्वंद्विता में बदल गया।
2. नए खिलाड़ियों को तलाशने में कमी
खेल या टीम कोई भी हो, उसे हमेशा अपने भविष्य की तैयारी रखनी होती है। दूरदृष्टि के हिसाब से फैसले लेने होते हैं। वेस्टइंडीज क्रिकेट में इसका अभाव दिखा। वेस्टइंडीज में घरेलू क्रिकेट लगातार कमजोर होता गया। इसके नतीजे भी सामने आते रहे और अब वर्ल्ड कप से बाहर होना वेस्टइंडीज के क्रिकेट की कब्र में आखिरी कील साबित हो गया है।
3. टी-20 क्रिकेट लीग ने भी किया नुकसान
टी-20 क्रिकेट और इसकी लीग कई देशों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इससे उन्हें वर्ल्ड क्रिकेट में अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिला है, लेकिन वेस्टइंडीज क्रिकेट के साथ इसका उलटा असर हुआ है। वेस्टइंडीज क्रिकेट में पहले से ही असंतोष की जड़ें गहरी थीं। टी-20 लीग की कामयाबी ने ऐसे खिलाड़ियों को मंच दे दिया, जो अपनी टीम से खफा थे। वेस्टइंडीज क्रिकेट इसका बड़ा सबूत है। आज हम वेस्टइंडीज के जिन बड़े क्रिकेटरों का नाम उंगलियों में गिनते हैं और जो आईपीएल में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे, उनमें से कुछ ही वेस्टइंडीज की उस टीम में शामिल थे, जो वर्ल्ड कप क्वालिफायर खेली थी।