संजय गुप्ता, INDORE. केन्द्रीय जीएसटी एवं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय, इंदौर ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी बिलिंग, फर्मों के जरिए 12 करोड़ की गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेने के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहां से इन्हें 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है। गिरफ्तार लोगों में एक मैसर्स धनजराज ट्रेडर्स का मालिक है और दूसरा इस आईटीसी के लिए ब्रोकर से मिलाने वाला साथी है, जो भावनगर के दलाल से मिलकर यह खेल कर रहे थे। वहीं फर्जी कंपनियों की जांच के लिए चल रहे अभियान के तहत इंदौर सेंट्रल जीएसटी विभाग ने अभी तक 124 फर्मों में से 87 फर्म फर्जी पाई है जिसमें 104 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई है।
ऐसे दिया मैसर्स धनराज ट्रैडर्स ने सरकार को धोखा
जीएसटी विभाग ने बताया है कि मैसर्स धनराज ट्रेडर्स के आरोपी प्रोपराइटर में से एक ने धनराज ट्रेडर्स नाम से एक फर्म खोली थी और नकली आईटीसी का लाभ उठाया, यह राशि 12 करोड़ है। अधिकारियों द्वारा पूछताछ से पता चला कि उक्त आरोपियों ने न केवल विभिन्न फर्जी फर्मों से फर्जी आईटीसी का लाभ उठाया बल्कि खुद से नकली आईटीसी भी तैयार किया और भारी कर चोरी कर सरकार को धोखा दिया।
गुजरात के भावनगर तक जुड़े तार
गुजरात के भावनगर का एक फर्जी आईटीसी ब्रोकर, जो धोखाधड़ी के लिए संभावित ग्राहकों की तलाश में इंदौर आता था, नकली चालान देने के लिए आरोपी के संपर्क में था। इस दलाल का परिचय मैसर्स धनराज ट्रेडर्स के मालिक से एक अन्य आरोपी सहअपराधी ने कराया था। साथी एक आदतन अपराधी है, जिसे पहले 2021 में केंद्रीय जीएसटी, इंदौर द्वारा 11 करोड़ रुपए से अधिक के नकली आईटीसी के समान जीएसटी धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार किया गया था। सहयोगी ने मैसर्स धनराज ट्रेडर्स के मालिक को ब्रोकर से मिलाने की बात की और कमीशन के आधार पर नकली आईटीसी धोखाधड़ी के लिए सौदा किया, जिसमें सहयोगी को प्रति क्विंटल के आधार पर कमीशन की पेशकश की गई।
यह खबर भी पढ़ें
इस तरह हुए दोनों गिरफ्तार
मैसर्स धनराज ट्रेडर्स के मालिक को केंद्रीय सीजीएसटी कार्यालय में बयान देने के लिए बार-बार समन दिया जा रहा था। हालांकि, वह किसी न किसी बहाने से इससे बचता रहा और जांच में सहयोग नहीं किया। जीएसटी अधिनियम की धारा 132 (1) (बी), (सी), (एफ) और (एल) में अपराध करने के लिए दोनों आरोपियों को केंद्रीय माल और सेवा अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। विभाग के प्रिंसीपल चीफ कमिशनर नवनीत गोयल के मार्गदर्शन में चल रहे पंजीकरण जांच अभियान के तहत यह केस पकड़ा गया है। प्रधान आयुक्त सेंट्रल जीएसटी इंदौर पार्थ चौधरी द्वारा चलाए जा रहे अभियान में 124 फर्मों की जांच हो चुकी है। इस जांच में 87 फर्जी निकली है और इसमें 104 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई है।