Indore. फर्जी कंपनियों के जरिए करीब सात सौ करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स घोटाला करने वाले गिरोह की बनाई छह कंपनियों के पते इंदौर के मिले हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे लोगों के दस्तावजे इस्तेमाल किए जो छोटी या सामान्य स्तर की कॉलोनियों में रहते हैं और ज्यादा जागरूक नहीं होते। एक कंपनी तो छह साल पहले मर चुके व्यक्ति के नाम पर बना डाली।
करीब पांच सौ फर्जी कंपनियों के जरिए ये घोटाला हुआ है। अब पड़ताल का एक हिस्सा साइबर सेल के हाथों में भी पहुंच गया। चूंकि मामला फर्जी दस्तावेजों का है तो सेल इनसे पूछताछ करेगी कि ये दस्तावेज इन तक कैसे पहुंचे और इनका उपयोग कहां-कहां किया है। साइबर सेल के एसपी जीतेंद्र सिंह के मुताबिक सेंट्रल जीएसटी से मिली शिकायत के बाद मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम शमसुद्दीन अमीन बोधानी (33 साल) निवासी सूरत, सुलेमान करीम अल मेघानी (29 साल) निवासी सूरत और फिरोज खान (36 साल) निवासी सूरत हैं। इनके पास मोबाइल फोन, लैपटॉप और कम्प्यूटर मिले हैं उससे छह कंपनियों की जानकारी मिली है जो इंदौर के पते पर दर्ज है। आगे पूछताछ चल रही है। जिन लोगों के नाम पर कंपनी बनाई उन्हें मालूम ही नहीं कि उनके नाम पर कोई कंपनी चल रही है।
अब तक इन कंपनियों का पता चला
-नंदन ट्रेडर्स (नरेंद्र चेरेती, साईबाबा नगर)
-काश्यप इंटरप्राइजेस (नीरज, वेदप्रकाश काश्यप, नेहरू नगर)
-राहुल इंटरप्राइजेस ( राहुल बाबूलाल गोहिल, फिरोज गांधी नगर)
-शांति इम्पेक्स् (शांतिभूषण रामनिवास, स्कीम नंबर 71)
-ए एन इंटरप्राइजेस (शोत्रिय अल्ताफ अल्लारखा, एमआईजी कॉलोनी)
एक कंपनी मृत व्यक्ति के नाम पर
आरोपियों ने एक कंपनी मृत व्यक्ति के नाम पर भी बना डाली। जांच में पता चला कि काश्यप इंटरप्राइजेस नाम की जो कंपनी जालसाजों ने बनाई उसमें राजाराम नीमा के दस्तावेज लगाए थे। इनकी छह साल पहले ही मृत्यु हो चुकी है। मामले में दो आरोपी जीएसटी के रिमांड पर हैं। उनका रिमांड खत्म होने के बाद साइबर सेल भी इन्हें रिमांड पर लेगी। आशंका है कि डाटा उपलब्ध कराने के लिए भी कोई गिरोह काम रहा है । हाल में फर्जी एडवायजरी कंपनी के बड़े गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद भंवरकुआ क्षेत्र का एक साफ्टवेयर इंजीनियर अमित बरफा गिरफ्तार हुआ है जो लोगों के डाटा कलेक्ट कर फर्जी कंपनियों को उपलब्ध करवाता था।