इंदौर में गृह सोसायटी का सहकारिता रिसीवर मांग रहा था कब्जा दिलाने के लिए रिश्वत, लोकायुक्त ने किया केस दर्ज

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में गृह सोसायटी का सहकारिता रिसीवर मांग रहा था कब्जा दिलाने के लिए रिश्वत, लोकायुक्त ने किया केस दर्ज

योगेश राठौर, INDORE. गृह निर्माण सोसायटी में जमीन को लेकर कितने खेल चलते हैं, इसका एक उदाहरण फिर देखने को मिला। लोकायुक्त इंदौर ने ग्रीन पार्क गृह निर्माण सोसायटी के रिसीवर, प्रशासक नियुक्त हुए उप अंकेक्षक एमएम श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार एक्ट में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उन पर ढाई लाख रुपए की रिश्वत मांगने की शिकायत की गई थी, इसकी प्रारंभिक जांच के बाद एजेंसी ने केस दर्ज किया है।





यह है मामला





आवेदक मोहम्मद इफ्तिखार खान निवासी निहालपुरा जवाहर मार्ग ने लोकायुक्त में शिकायत की थी कि पार्क सहकारी संस्था अंतर्गत लेक पार्क कॉलोनी मैं एक प्लॉट संस्था के रजिस्टर्ड सदस्य से 24 लाख रुपए में खरीदा था। साथ ही इसकी विधिवत रूप से उप पंजीयक कार्यालय इंदौर से रजिस्ट्री भी कराई थी। नवंबर 2022 में उक्त खरीदे गए प्लॉट पर कब्जा लेने की कार्रवाई की गई तो आरोपी ने उसे नोटिस जारी किया। नोटिस के जवाब में आवेदक द्वारा सभी कागजात पेश किए गए, लेकिन आरोपी द्वारा असल रजिस्ट्री को मान्य नहीं किया गया। जबकि इस जमीन का कब्जा दिलाने के एवज में रिश्वत के रूप में 2.5 लाख की मांग की गई। साथ ही पैसों की मांग पूरी न करने पर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की धमकी दी गई। आवेदक की ओर से लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में शिकायत किए जाने पर शिकायत की जांच की गई।





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रिश्वत लेते नहीं पकड़ा, लेकिन मांगना साबित हुआ





लोकायुक्त में आवेदक ने बताया कि वह रिश्वत नहीं देना चाहता है। लिखित में श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत की। आरोपी द्वारा रिश्वत नहीं ली गई, किंतु कब्जा दिलाने के एवज में रिश्वत की मांग के आरोप प्रमाणित पाए गए। अतः आवेदक की शिकायत के आधार पर अपने पद का दुरुपयोग कर रिश्वत की मांग करने के संबंध में आरोपी श्रीवास्तव उप अंकेक्षक के विरुद्ध धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण संशोधित अधिनियम का मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया।





इंदौर में सोसायटियों में है जमकर धांधलियां





इंदौर में सहकारिता विभाग की धांधलियों के कारण यहां कई भू माफिया पनपे हुए हैं। संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा जमीन दूसरों को बेचना, एनओसी के नाम पर रिश्वत मांगना, अवैध कब्जे व निर्माण कराने के साथ कई तरह की शिकायते हैं। जिसे लेकर साल 2010 से ही विविध स्तर पर भूमाफिया चल रहे हैं। कई मामलों में तो विभाग के अधिकारियों पर ही गंभीर आरोप लगे हैं और अब सहकारिता के अधिकारी पर ही केस होना बताता है कि रिसीवर बनने के बाद यह अधिकारी खुद रिश्वत मांगने में जुटे हैं।



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