NEW DELHI. श्रद्धा मर्डर केस में 26 नवंबर को अब तक सबसे बड़ा खुलासा हुआ। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, जंगल में मिली हड्डियां श्रद्धा की ही हैं। श्रद्धा के पिता के ब्लड सैंपल के डीएनए से टाइल्स पर मिले खून और हड्डियों के सैंपल्स का मिलान हो गया है। अभी तक श्रद्धा की हत्या हुई है या नहीं, ये अपने आप में बड़ा सवाल था। अब फोरेंसिक जांच में इसका जवाब मिल चुका है कि श्रद्धा का मर्डर हो चुका है। फोरेंसिक टीम के सूत्रों ने दिल्ली पुलिस को मौखिक रूप से जानकारी दी है, पूरी रिपोर्ट देने में अभी कुछ दिन का वक्त लग सकता है। जांच में श्रद्धा की बॉडी पर आरी से काटने के निशान भी मिले हैं। वहीं, पुलिस को अब फोरेंसिक की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।
पुलिस आरोपी को लेकर सबूतों की ढुंढाई कर चुकी है
श्रद्धा मर्डर केस ने पुलिस को उलझा दिया है। पुलिस के सामने पूरे केस साफ है, लेकिन सबूतों के अभाव में 15 दिन से चकरघिन्नी बनी हुई है। केस में 14 से ज्यादा पुलिस टीमें दिन-रात एक कर सबूत जुटा रही हैं, लेकिन अब तक खास कामयाबी नहीं मिल पाई है। उधर, आरोपी आफताब का 3 राउंड का पॉलीग्राफ टेस्ट भी हो चुका है, लेकिन सवालों के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं है। अब नार्को टेस्ट की किए जाने की तैयारी है।
फिलहाल, आफताब की पुलिस कस्टडी के 4 दिन पूरे हो गए हैं। आज यानी 26 नवंबर को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा और तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा। हालांकि, दिन में उसका एक बार फिर पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने की संभावना है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने आफताब की दो बार 5-5 दिन की कस्टडी ली थी। इस तरह 14 दिन पूछताछ की और मर्डर का सामान बरामद करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। आफताब को लेकर पुलिस उन दुकानों तक पहुंची, जहां से उसने हथियार (चाकू, कीलें और आरी, चापड़) खरीदे थे। इसके साथ ही जंगल छाने और तालाब को भी खंगाला। पुलिस मुंबई में श्रद्धा का फोन बरामद करने के लिए गई। जिस डेंटल क्लीनिक में श्रद्धा का ट्रीटमेंट हुआ, वहां भी डॉक्टर से पूछताछ की, लेकिन खास सबूत नहीं मिल पाए।
आफताब ने बताया- दृश्यम देखी थी, अब तो दूसरा पार्ट आ गया है
पुलिस अभी भी आफताब के झूठ और सच में उलझी है। पुलिस ने अदालत के सामने जिक्र किया था कि उसे आफताब के पास एक नोट मिला है, जिसमें वो लाश के टुकड़ों का सारा हिसाब-किताब रखता था यानी लाश के किस हिस्से को उसने कहां फेंका है। पुलिस की इस थ्योरी से ये साफ हो जाता है कि आफताब ने श्रद्धा का कत्ल गुस्से में अचानक नहीं किया, बल्कि एक प्लानिंग के तहत वारदात को अंजाम दिया। आफताब ने मर्डर की प्लानिंग मई में ही कर ली थी। उसने प्लानिंग के तहत ही मुंबई छोड़ा था।
पॉलीग्राफ टेस्ट में आफताब से पूछा गया कि क्या उसने मर्डर की प्लानिंग कर रखी थी और किसी मूवी को देखकर आइडिया आया। इस पर कहा कि हां, मैंने दृश्यम देखी है। अब तो दृश्यम 2 आ गई है। पुलिस ने आफताब से बार-बार सवाल किया कि उसने श्रद्धा का मर्डर अचानक गुस्से में किया या उसकी पहले से प्लानिंग थी। दिल्ली पुलिस की मानें तो आफताब इस सवाल पर लगातार झूठ बोल रहा है। पुलिस को लगता है कि आफताब ने श्रद्धा को गुस्से में नहीं मारा, बल्कि वो इसकी साजिश लंबे समय से कर रहा था।
पुलिस को और सबूत जुटाने होंगे
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जंगल से जो हड्डियां मिली हैं, उससे ये साफ है कि वो श्रद्धा की ही हैं, तब भी आफताब को फांसी की सजा नहीं हो सकती। इसके लिए पुलिस को कुछ और सबूत एकत्रित करने पड़ेंगे, जैसे- 1. आखिरी समय में उस फ्लैट में दोनों लोग मौजूद थे। 2. आफताब ने उसी फ्लैट के अंदर श्रद्धा की हत्या की है। इससे संबंधित फोरेंसिक सबूत होना जरूरी है। 3. हत्या करने के बाद श्रद्धा की बॉडी के टुकड़े किए, उससे जुड़े फोरेंसिक साक्ष्य। 4. उसके बॉडी के टुकड़े जंगल में फेंके।
यानी ये वो 4 कड़ियां इस मामले में बेहद अहम होंगी और आफताब को सजा दिलाने में मददगार साबित होंगी। देश के लोग ये मान चुके हैं कि आफताब ने श्रद्धा का गला दबाया, फिर लाश के 35 टुकड़े किए और जंगल में फेंक दिए। सवाल यही है कि कब, कहां और कैसे? इसका जब तक सटीक जवाब नहीं मिल जाता, ये कड़ियां यूं ही बिखरी रहेंगी।
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थर्ड डिग्री से बचने के लिए पुलिस के सामने गुनाह कबूला
आफताब ने पुलिस से कहा है कि उसने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े किए, लेकिन 14 दिन बाद एक भी टुकड़े की शिनाख्त नहीं हुई। पुलिस को शक है कि उसने प्लानिंग से हत्या की है। आफताब ने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि सब कुछ Heat of the moment (गुस्से में आकर कदम उठाना) था। थर्ड डिग्री से बचने के लिए आफताब ने पुलिस के सामने मर्डर का जुर्म कबूल कर लिया। कोर्ट में उसने एक बार भी नहीं कहा कि श्रद्धा का कातिल मैं ही हूं। जानकार कहते हैं कि आफताब अपने किए की सजा से बच निकलने की साजिशें कर रहा है। उसकी कोशिश है कि अपने बयानों के तिलिस्म में ऐसा उलझा दिया जाए, जिससे पुलिस को अदालत में उसे कातिल साबित करना नामुमकिन हो जाए।
ये सबूत पुलिस के हाथ नहीं
- हत्या में इस्तेमाल हथियार।
पुलिस के ये सबूत लगे
- महरौली के जंगल से मिलीं हड्डियां।
अब नार्को टेस्ट पर बात खड़ी है
अगर डीएनए टेस्ट से श्रद्धा की हड्डियों की पुष्टि नहीं होती है तो दिल्ली पुलिस को आफताब को कातिल साबित करना खासा मुश्किल होगा। आफताब का नार्को टेस्ट होना बाकी है। ज्यूडिशियल कस्टडी में पुलिस 28 नवंबर को ये टेस्ट करा सकती है।