इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा ने सेटेलाइट हिल कॉलोनी में किया अवैध उत्खनन, प्रशासन ने लगाई 32.67 लाख की पेनल्टी

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा ने सेटेलाइट हिल कॉलोनी में किया अवैध उत्खनन, प्रशासन ने लगाई 32.67 लाख की पेनल्टी

संजय गुप्ता, INDORE. जमीनों के गोरखधंधे में लिप्त और जमानत पर जेल से बाहर चल रहे रितेश उर्फ चंपू अजमेरा को पीडितों के साथ न्याय में देरी करने और प्रशासन के साथ खिलवाड़ करने का करारा जवाब सोमवार को अपर कलेक्टर कोर्ट से मिला है। अवैध उत्खनन के मामले में अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर की कोर्ट ने उस पर 32 लाख 67 हजार 460 रुपए का अर्थदंड रोपित किया है। कलेक्टर इलैया राजा टी ने इस कार्रवाई से संदेश दिया है कि भूमाफियाओं की धमकियों से प्रशासन डिगेगा नहीं और यह कार्रवाई उसी की पहल मानी जा रही है।



यह है पूरा मामला



जिला प्रशासन को 16 दिसंबर 2022 को एक शिकायत मिली थी कि सेटेलाइट हिल जिसे ओर ग्रीन्स भी कहा जाता है, कि वहां पर अवैध खनन हो रहा है। शिकायत की खनिज विभाग द्वार कलेक्टर इलैया राजा के निर्देश पर अपर कलेक्टर बेडेकर की टीम द्वारा कराई गई, जिसमें मौके पर गड्‌ढा पाया गया औऱ् यहां पर अवैध खनन के सबूत मिले। वहां मौके पर बयान लिए गए, जिसमें सुपरवाईजर महेश पटेल ने चंपू अजमेरा की जमीन होने की बात कही। इसके बाद खनिज विभाग द्वारा जांच में पाया गया कि यहां से 2177 घन मीटर मुरम अवैध तरीके से निकाली गई। इसकी रायल्टी नहीं देने पर कीमत का 15 गुना रायल्टी बनती है जो 16.33 लाख होती है और इतना ही पेनल्टी लगती है जो 16.33 लाख रुपए औऱ् जुड़ती है। इस तरह कुल अर्थदंड 32.67 लाख रुपए होता है। 



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इस कॉलोनी के कई पीड़ित है चंपू से



इस कॉलोनी के 90 से ज्यादा प्लाटधारक चंपू और कैलाश गर्ग के कारण पीडित है। गर्ग ने यहां की जमीन पर बैंक लोन उठाया हुआ है और वह प्रशासन को बोलते हैं कि चंपू मामला निपटाएगा, वहीं चंपू गर्ग पर ढोलता है कि यह मैटर गर्ग निपटाएगा क्योंकि लोन उसने लिया है। कुल मिलाकर दोनों की नूराकुश्ती में लीगल मैटर उलझ गया है और जिसके चलते जिला प्रशासन और कमेटी भी इसके फेर में फंस गई है, जिसका रास्ता अब विधिक तरीके से ही निकल सकता है। उधर गर्ग और चंपू दोनों मिलकर प्लाटधारकों को 12 साल से टरका रहे हैं।



सैटेलाइट कॉलोनी में बैंक लोन के नाम पर खेल



ये कॉलोनी एवलांच कंपनी, जो 2008 में नितेश चुघ और मोहन चुघ ने बनाई, लॉन्च की गई। इसके बाद इसमें ये दोनों हट गए और कैलाश गर्ग और सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बन गए। इस गर्ग ने कुछ हिस्सा बैंक में गिरवी रख कर 110 करोड़ का बैंक लोन ले लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को एक प्रस्ताव पास किया और चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सभी सौदे करने के लिए पॉवर ऑफ अटार्नी दे दी। वहीं, नारायण एंड अंबिका साल्वेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसने कॉलोनी के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और उसकी पत्नी योगिता जून 2005 में डायरेक्टर बने, जो 2009-10 तक रहे। यानी कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू अजमेरा ने की। अब चंपू प्लॉटधारकों को प्लॉट देने से ये कहकर बच रहा है कि ये कॉलोनी तो गर्ग की थी और उसने बैंक से लोन ले लिया। वहीं, गर्ग इसमें पीड़ितों को यह कहकर भगा रहा है कि मैंने उस जमीन को गिरवी नहीं रखा जो चंपू ने बेची, वह दूसरा हिस्सा था तो चंपू ही निपटाएगा। इस पूरे खेल में पीड़ित और अधिकारी उलझ कर रह गए। जिन्हें कब्जा देना भी बताया जा रहा है, वहां गर्ग एंड कंपनी भगा देती है।


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