जीतू ठाकुर हत्याकांड, 43 गवाह मुकरे, जेल प्रहरी भी साबित नहीं कर पाए

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Lalit Upmanyu
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जीतू ठाकुर हत्याकांड,  43 गवाह मुकरे, जेल प्रहरी भी साबित नहीं कर पाए


indore. महू (इंदौर) उपजेल में करीब पंद्रह साल पहले हुए जीतू ठाकुर हत्याकांड में कोर्ट ने सोमवार को युवराज काशिद (उस्ताद) , यशवंत उर्फ बबलू और विजय उर्फ करण को बरी कर दिया है।  विक्की और अशोक मराठा को उम्र कैद की सजा सुनाई है। एक आरोपी अशोक सूर्यवंशी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। पूरे केस में कुल 93 गवाह पेश हुए थे उनमें से 43 बयान से मुकर गए। बाकी गवाह बी घटना को पुख्ता तरीके से साबित नहीं कर पाए।



ड्यूटी पर थे, वे भी  देख नहीं पाए

 

बाहरी लोगों द्वारा जेल में घुसकर किसी की हत्या का शहर में यह पहला मामला था। घटना  23 जनवरी 2007 को  महू उप जेल में हुई थी। मुल्जिमों से मुलाकात के वक्त के दौरान हत्यारे मुलाकाती बनकर जीतू ठाकुर तक पहुंचे और जेल में घुसते ही फायरिंग शुरू कर दी। उसके बाद हत्यारे जेल से निकलकर फरार हो गए थे। जिस समय घटना हुई ड्यूटी पर हरिप्रसाद, कैलाश और शैलेंद्र चंदेल थे। तीनों ने गवाही में कहा हां, घटना हुई। कुछ लोग जेल में घुसे थे। गोली भी चली थी। हत्या भी हुई लेकिन यह सब किसने किया, पता नहीं। 



जीतू और प्रहरी को लगी गोली से हुई सजा



मामले में अशोक मराठा और विक्की जवकर को उम्र कैद का आधार वो गोलियां बनीं जो जीतू ठाकुर और प्रहरी हरिप्रसाद को लगी थी । कोर्ट में साबित हुआ कि जीतू को जो गोली  लगी वो उसी रिवाल्वर से चली थी जो विक्की से बरामद हुई। इसी प्रकार अशोक मराठा से जब्त रिवाल्वर से चली गोली हरिप्रसाद को लगी थी। 



युवराज के पिता की हत्या में शामिल था जीतू



 जीतू ने काफी साल पहले युवराज के पिता विष्णु उस्ताद की हत्या करवाई थी। उसके बाद से ही लगातार बदला, हत्याओं का दौर चल रहा था। जीतू ठाकुर को जेल में शूट किया गया तो पुलिस का सीधा शक युवराज और उसकी गैंग पर गया।  जांच पड़ताल हुई तो युवराज ने पुलिस को बताया कि जिस समय घटना हुई वो महाराष्ट्र की बीड़ जेल में बंद था।  

 


2007 out युवराज at thakur सजा sub Shoot Case jeetu murder बरी दो और Mhow उस्ताद Jail को