Indore. सोशल सिक्येरिटी नंबर अधिकारी बन अमेरिकी नागरिकों से सौ करोड़ रुपये ठगने का आरोपी करण भट्ट डार्कनेट से अमेरिकी नागरिकों का डेटा खरीदता था। फिर धमका कर वसूली गई राशि चीन, हांगकांग, पेरू के फर्जी खातों में जमा करवाकर हवाला के जरिए भारत मंगवाई जाती थी। करण ने हवाला और ठगी में शामिल दो आरोपियों के नाम भी बताए हैं।
पूछताछ में कई हैरान करने वाले खुलासे
पुलिस के मुताबिक, करण भट्ट पुष्पक अपार्टमेंट घोड़ासर की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम था। नवंबर 2020 में करण सहित 22 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था। आरोपी ओके सेंट्रल बिल्डिंग में याशी इन्फोटेक के नाम से फर्जी कॉल सेंटर चलाता था। मंगलवार को उसे जिला कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया था। उसने बताया कि फरारी के दौरान दिल्ली, पंजाब, गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र में रहा। तीन महीने पूर्व साझेदार हर्ष भावसार के साथ आइटी पार्क चंडीगढ़ में काल सेंटर खोला। आरोपी और उसके कर्मचारी एसएसएन अफसर बनकर साउथ अमेरिकी नागरिकों से राशि ले रहे थे।
डार्कनेट से डेटा खरीदा था
डीसीपी (अपराध) निमिष अग्रवाल के मुताबिक, करण ने बताया कि उसने डार्कनेट से अमेरिकी नागरिकों का डेटा खरीदा था। आरोपी आइबीन साफ्टवेयर की मदद से कैलिफोर्निया, न्यूयार्क, वर्जीनिया, ओहियो, जार्जिया जैसे बड़े शहरों में इंटरनेशनल कॉल करता था। टैक्स्ट टू स्पीच वेबसाइट के माध्यम से वायस मैसेज भेजता था। कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी खुद को एसएसएन अफसर बताकर बात करते थे।
उन्हें ड्रग ट्रैफिकिंग, चेक फ्राड, बैंक फ्राड, आइडेंटिटी थेप्ट जैसे मामलों में संलिप्त बताकर डॉलर के रूप में वसूली करता था। इस राशि को चीन, हांगकांग, पेरु के फर्जी खातों में जमा किया जाता था, जो वात्सल्य मेहता मुहैया करवाता था। वात्सल्य हवाला के जरिये करण और उसके पार्टनर हर्ष भावसार को रुपये देता था।