NEW DELHI. गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 8 जनवरी को अहम फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने दोषियों की जल्द रिहाई का फैसला रद्द कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना है। SC ने कहा, महिला सम्मान की हकदार है। राज्य इस तरह का निर्णय लेने के लिए 'सक्षम नहीं' है और इसे 'धोखाधड़ी वाला कृत्य' करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरथाना और उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाया और कहा, 11 दोषियों की जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका वैध है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि दोनों राज्यों ( महाराष्ट्र-गुजरात ) के लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट फैसले ले चुके हैं। ऐसे में कोई आवश्यकता नहीं लगती है कि इसमें किसी तरह का दखल दिया जाए।
गुजरात सरकार ने दोषियों को कर दिया था रिहा
अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा।
याचिका में फैक्ट छिपाकर निर्देश देने की मांग की थी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस कोर्ट के मई 2022 के आदेश पर हमारे निष्कर्ष हैं। प्रतिवादी संख्या 3 ने यह नहीं बताया कि गुजरात हाई कोर्ट ने CRPC की धारा 437 के तहत उसकी याचिका खारिज कर दी थी। प्रतिवादी संख्या 3 ने यह भी नहीं बताया था कि समयपूर्व रिहाई का आवेदन महाराष्ट्र में दायर किया गया था, ना कि गुजरात में। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, महत्वपूर्ण फैक्ट को छिपाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषी की ओर से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में 11 दिन चली थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने फैसला सुनाया है। बेंच ने पिछले साल 12 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले पर अदालत में लगातार 11 दिन तक सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से जुड़े ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश किए थे। गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को सही ठहराया था। समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाए थे। हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि वो सजा माफी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि दोषी कैसे माफी के योग्य बने।
. 30 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार चुनिंदा रूप से नहीं दिया जाना चाहिए।
दोषी के वकील ने कहा था-समाज में जीने की नई किरण मिली है...
इससे पहले एक दोषी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि सजा माफी के आदेश ने दोषी को समाज में फिर से बसने की आशा की एक नई किरण दी है और उसे उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का पछतावा है, जिसके कारण उसे पीड़ा हुई है। लूथरा ने दोषियों को मिली जल्द रिहाई का बचाव किया और कहा, इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई, 2022 के आदेश के जरिए सुलझा लिया था।
समय से पहले रिहा किए गए 11 दोषी
समय से पहले रिहा किए गए 11 दोषियों में जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल।