BANGLORE. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस को जनता ने पूर्ण बहुमत से जिताया। लेकिन अब वहीं कांग्रेस जनता से किए गए वादों से मुकरती हुई नजर आ रही है। दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने कर्नाटक में सत्ता आने के बाद बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने वाली वहीं कांग्रेस का कहना है कि बजरंग दल पर बैन लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं था। कांग्रेस का मिशन था नफरत की राजनीति को रोका जाए। ना कि प्रतिबंध लगाना है। आपको बता दें कि कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात को प्रमुखता से लिया था।
प्रतिबंध लगाने नहीं आया कोई प्रस्ताव- मोइली
कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने चुनाव परिणाम के बाद स्पष्ट किया कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं था और कांग्रेस का मिशन था कि नफरत की राजनीति को रोका जाए। राज्य सरकार की ओर से किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार का बजरंग दल पर प्रतिबंध संभव नहीं है।
कांग्रेस ने 2 पार्टियों को बैन करने किया था वादा
पूर्व सीएम वीरप्पा मोइली ने कहा कि एक नेता के तौर पर मैं आपको यह बता सकता हूं कि हमारे पास बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य में बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। अब पार्टी की ऐतिहासिक जीत और पार्टी के सत्ता में वापस लौटने के बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस इसको लेकर क्या कदम उठाने वाली है।
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बजरंग दल के लिए उठाएंगे कदम
वीएचपी के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा- अगर कांग्रेस हिंदुओं के लिए अपनी नफरत के कारण बजरंग दल के खिलाफ कोई कठोर कदम जरूर उठाएगी। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भी बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन अदालत ने इसे गलत बताते हुए रद्द कर दिया था।
राम मंदिर आंदोलन से शुरू हुआ विहित
विश्व हिन्दू परिषद एक हिन्दू संगठन के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे कहते हैं कि बजरंग दल तो आंदोलन का दूसरा नाम है। इसका जन्म ही राम मंदिर आंदोलन को लेकर हुआ था। यह देशभक्त संगठन है और कोई गैर कानूनी काम नहीं करता है। कोई भी (कांग्रेस पार्टी) अगर संगठन के खिलाफ कार्रवाई करेगा तो कानून के दायरे में ही करेगा। जब वह इस तरह का फैसला लेंगे, तब हम अपनी रणनीति तय करेंगे।
विकल्प तलाश रही है विहिप
हालांकि, परिणाम बताते हैं कि यह मुद्दा हिंदुओं के ध्रुवीकरण में भले न सफल हुआ, पर इससे मुस्लिम मतदाता जरूर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में गोलबंद हो गए। इस स्थिति में औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी की सरकार में आने के बाद उसके सामने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा मौजूद रहेगा। इस स्थिति को विश्व हिन्दू परिषद एक हिन्दू संगठन भी भली-भांति समझ रही है और उसके द्वारा उस परिस्थिति को लेकर विकल्प टटोले जाने लगे हैं, जिसमें कानूनी से लेकर जमीनी संघर्ष भी है।