भारत सहित पूरी दुनिया अब लॉकडाउन से मुक्त हो चुकी है। लॉकडाउन ( lockdown ) यह शब्द ज्यादातर लोगों ने 2020 में कोरोना महामारी आने के बाद ही सुना होगा पर भारत के एक गांव के लोग पीढ़ियों से इस लॉकडाउन की परंपरा को निभा रहे हैं। भारत के इस गांव में कोरोना जाने के बाद भी लॉकडाउन की परंपरा बरकरार है। दरअसल बिहार के दक्षिण चंपारण जिले के एक गांव में हर साल एक दिन 12 घंटे का लॉकडाउन लगता है। इस लॉकडाउन के समय, सभी लोग गांव खाली करके जंगल की ओर चले जाते हैं। बीमार और बुजुर्गों को भी गांव से जंगल में ले जाया जाता है और पूरे गांव में 12 घंटे का संपूर्ण लॉकडाउन लग जाता है। जानें इस अनोखे गांव और यहां लगने वाले लॉकडाउन के पीछे की वजह-
बैसाख की नवमी को छोड़ते हैं गांव
बगहा के नौरंगिया गांव ( Naurangiya Bagaha Village ) के लोग 12 घंटे के लॉकडाउन की अनोखी परंपरा निभाते हैं। यह लॉकडाउन बैसाख की नवमी को लगता है। इस समय गांव के लोग वनवास पर चले जाते हैं। यह वनवास वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के भजनी कुट्टी जंगल में बीतता है। वन में जाकर गांव के लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं और सूर्यास्त के बाद घर वापस आते हैं।
सालों पहले महामारी से पीड़ित हुए थे गांव के लोग
नौरंगिया बिहार में इस तरह के लॉकडाउन की प्रथा विश्व भर में कोरोना महामारी के चलते लगने वाले लॉकडाउन के बहुत पहले आ गई थी। यहां के लोग पीढ़ियों से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। दरअसल गांव के लोग सालों पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से पीड़ित थे। यहां हैजा और चेचक का भी प्रभाव था। इस दौरान परमहंस साधु नाम के एक बाबा को देवी मां का स्वप्न आया। इस सपने में देवी मां ने उन्हें पूरे गांव को वनवास ले जाने को कहा। तब से ही गांव में 12 घंटे के वनवास की प्रथा शुरू हुई।
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Naurangiya Bagaha Village