नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान (Beti Bachao, Beti Padhao Yojana) शुरू किया था। इसके लिए 446.72 करोड़ रुपए का बजट आवांटित किया गया। लेकिन सरकार ने इसका 79 प्रतिशत पैसा केवल विज्ञापन (Govt Advertisement) पर खर्च कर दिया। इसका खुलासा 9 दिसंबर को संसद (Parliament) में पेश हुई रिपोर्ट में हुआ है। इस पैसे को लड़कियों की शिक्षा (Education) और स्वास्थ्य के लिए किया जाना था। लेकिन कैंपेन के जिम्मेदार लोगों ने इसे विज्ञापन पर खर्च करना जरूरी समझा।
योजना उद्देश्यों से न भटके: पैनल
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016- 2019 की अवधि के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपए में से 78.91 फीसदी लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य (Health) पर कल्याणकारी हस्तक्षेपों के बजाय केवल विज्ञापन पर खर्च किया गया था। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जागरूकता के लिए मीडिया अभियान चलाना भी जरूरी है लेकिन योजना के उद्देश्यों को भी संतुलित किया जाना चाहिए।
BJP सांसद कर रही थी इस नेतृत्व
पैनल का नेतृत्व महाराष्ट्र BJP की लोकसभा सांसद हीना विजयकुमार गावित कर रही हैं। कोरोना के कारण, विशेषज्ञों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया है कि छात्राओं तक शिक्षा की पहुंच कम है।
राज्य सरकार का खराब प्रदर्शन
इसी अवधि में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने 2016-17 में बहुत कम खर्च की ओर इशारा करते हुए राज्य स्तर पर योजना का प्रदर्शन को कम बताया। 2014-15 और 2019-20 के बीच, राज्यों ने केवल 156.46 करोड़ रुपए का उपयोग किया है, जो केंद्र सरकार द्वारा जारी 652 करोड़ रुपए का केवल 25.13 फीसदी हिस्सा है। पैनल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि योजना के खराब प्रदर्शन के कारण कम बजट का उपयोग हुआ है।
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