RANCHI. झारखंड के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में एक महिला ने 7 साल बाद एक साथ 5 बच्चियों को जन्म दिया है। दरसअल, 27 साल की अंकिता झारखंड के चतरा जिले के मलकपुर गांव की रहने वाली हैं। रिम्स की डॉ. शशिबाला सिंह के मुताबिक अंकिता आईवीएफ तकनीक से प्रेग्नेंट हुई थीं। अंकिता 7 सालों से मां नहीं बन पा रही थीं। उनका प्रसव सातवें महीने में ही कराना पड़ा। इस कारण उनके बच्चों का वजन सामान्य से कम (अंडरवेट) है। उनके फेफड़े कमजोर हैं। इसलिए उन्हें गहन निगरानी में रखा गया है। रिम्स के एनआइसीयू में बेड खाली नहीं होने के कारण 2 नवजात बेटियों को रांची के ही एक प्राइवेट हास्पिटल में एडमिट कराना पड़ा है। बाकी 3 बेटियां रिम्स में हैं।
पत्नी 16 दिन से थी रिम्स में एडमिट
प्रकाश साव ने बताया कि पत्नी अंकिता 16 दिन पहले से रिम्स अस्पताल में एडमिट है। प्रकाश ने रिम्स अस्पताल पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे बच्चों के लिए बेड का इंतजाम क्यों नहीं किया। सबको पता था कि मेरी पत्नी के गर्भ में 5 बच्चे हैं। कल रात मुझे अचानक से बोल दिया गया कि 2 बच्चों को प्राइवेट में एडमिट करा लीजिए क्योंकि यहां के एनआइसीयू में जगह नहीं है। मैं गरीब आदमी हूं। प्राइवेट अस्पताल का खर्च उठा पाना मेरे लिए बहुत कठिन है।
अस्पताल में बच्चों के लिए बेड की व्यवस्था नहीं
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक एनआइसीयू में सीमित संख्या में बेड हैं और उन पर पहले से ही दूसरे नवजात बच्चे भर्ती हैं। उन्हें हटाया नहीं जा सकता क्योंकि वे भी गंभीर स्थिति में भर्ती किए गए हैं। अंकिता के मामले में प्रीटर्म डिलिवरी हुई है, इसलिए वेंटिलेटर या इनक्यूबेटर को पहले से आरक्षित रखना कैसे संभव है। ऐसे में उनके पति पंकज साव के आरोप सही नहीं हैं। यह सलाह उनके बच्चों की जान बचाने के लिए दी गई। हमारी प्राथमिकता बच्चों का इलाज है न कि किसी से भेदभाव करना।
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आयुष्मान के आधार पर होगा इलाज
जानकारी के अनुसार बच्चियों के जन्म के साथ बर्थ सर्टिफकेट के आधार पर आयुष्मान कार्ड में जिक्र हो गया है। इस आधार पर किसी भी बच्चे के इलाज में कोई खर्चा नहीं आएगी। हालांकि प्रकाश का कहना है कि रांची में आकर इलाज कराना, रहना-खाना, अस्पताल बाहर दवाई खरीदने में इतने पैसे खर्च हो चुके हैं कि उन्हें कर्ज लेना पड़ा है।
बच्चियों की हालत स्थिर
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चियों और उनकी मां की हालत फिलहाल स्थिर है। फिर भी उन्हें अगले कुछ सप्ताह अस्पताल में ही गुजारने होंगे। उनकी बच्चियों को दो अलग-अलग अस्पतालों के नियोनटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। अंकिता कुमारी पिछले 7 मई से रिम्स में स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. शशिबाला सिंह की यूनिट में भर्ती हैं। प्रसव पूर्व हुई जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बता दिया था कि उनके गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं। वे डाक्टर्स की देखरेख में थीं। 22 मई की दोपहर उन्हें अचानक दर्द (लेबर पेन) हुआ और उन्होंने आधे घंटे के दौरान 5 बेटियों को जन्म दिया।
पहली बार एक साथ 5 बच्चों का हुआ जन्म
रिम्स की डॉ. शशिबाला सिंह की टीम में शामिल डॉ. बुलुप्रिया ने बताया कि पहली बार एक साथ 5 बच्चों का जन्म हुआ है। इससे पहले यहां एक महिला ने 4 बच्चों को जन्म दिना था। अब वह रिकार्ड टूट गया है। डॉ. बुलुप्रिया ने कहा- ऐसे मामले कभी-कभार आते हैं लेकिन ऐसा हो पाना आश्चर्यजनक नहीं है। देश-दुनिया में इस तरह के प्रसव होते रहे हैं। यह सामान्य प्रक्रिया है, जब गर्भ में एक से अधिक एग्स बन जाएं। इनका अलग से कोई जोखिम नहीं है लेकिन भ्रूण की संख्या अधिक होने पर समय पूर्व प्रसव और बच्चों का वजन कम होने जैसी शिकायतें मिल सकती हैं।