हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही मानना ठीक नहीं, अडानी ग्रुप के खिलाफ सबूत क्या हैं, जानें सुप्रीम कोर्ट ने और क्या-क्या कहा?

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Jitendra Shrivastava
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही मानना ठीक नहीं, अडानी ग्रुप के खिलाफ सबूत क्या हैं, जानें सुप्रीम कोर्ट ने और क्या-क्या कहा?

NEW DELHI. अडानी मामले की जांच में शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी अब सुप्रीम कोर्ट से समय बढ़ाने की मांग करने के मूड में नहीं है। यह जानकारी सेबी ने खुद सुप्रीम कोर्ट को दी है। इसके बाद यह माना जा रहा है कि सेबी की जांच अब फाइनल स्टेज में है। शुक्रवार 24 नवंबर को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के अलावा याचिकाकर्ता से भी कई तीखे सवाल पूछे। इसके बाद बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं है

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही नहीं माना जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता के परीक्षण का कोई साधन नहीं है, इसीलिए हमने सेबी से मामले की जांच करने को कहा था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सही मानने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से पूछा कि आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत है? कोर्ट ने पूछा कि हमें विदेशी रिपोर्टों को सच क्यों मानना चाहिए? हम रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें सबूत चाहिए।

सेबी से पूछा- निवेशकों की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाए

मुख्य न्यायाधीश ने सेबी से पूछा कि निवेशकों के नजरिए से क्या कदम उठाए गए हैं। क्या निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं। इस पर सेबी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसे मामले पाए जाने पर शॉर्ट-सेलर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मेहता ने कहा- नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए पैनल की सिफारिशों पर कोई आपत्ति नहीं है। ये सिफारिशें विचाराधीन हैं और सैद्धांतिक रूप से हमने स्वीकार कर ली है।

हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगाए थे आरोप

बता दें कि जनवरी महीने में अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई और मार्केट कैपिटल करीब 150 बिलियन डॉलर कम हो गया है। शेयर बाजार पर भी इसका असर पड़ा और निवेशकों को भारी-भरकम नुकसान हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक पैनल का किया था गठन

इस नुकसान के बाद सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग कई याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मार्च महीने में एक पैनल का गठन किया। इसके साथ ही सेबी को मामले की जांच का आदेश दिया। सेबी को 2 महीने में यह जांच पूरी करनी थी लेकिन डेडलाइन से पहले बाजार नियामक ने सुप्रीम कोर्ट से समय की मांग कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने का समय दिया। यह डेडलाइन 14 अगस्त को खत्म हो चुकी है। हालांकि, सेबी ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है लेकिन फाइनल रिपोर्ट का अब भी इंतजार है।

अडानी समूह को दी थी क्लीन चिट

वहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने मई में एक अंतरिम रिपोर्ट में अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी थी। पैनल ने कहा था कि उसने अरबपति गौतम अडानी की कंपनियों में हेरफेर का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं देखा और कोई नियामक विफलता नहीं हुई। पैनल की ओर से सेबी को निवेशकों के हित में कुछ सिफारिशें भी दी गई हैं।

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