सूर्य के और नजदीक पहुंचा आदित्य एल-1, आठ दिन में तीसरी बार बदली कक्षा, अब गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकालने की तैयारी

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Pratibha Rana
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सूर्य के और नजदीक पहुंचा आदित्य एल-1, आठ दिन में तीसरी बार बदली कक्षा, अब गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकालने की तैयारी

New Delhi. चंद्रयान-3 के बाद भारत एक और सफलता पाने जा रहा है। भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य एल1 सूर्य के और नजदीक पहुंच गया है। रविवार (10 सितंबर) तड़के आदित्य ने तीसरी बार अपनी कक्षा बदली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी। अब 15 सितंबर को चौथी बार कक्षा बदली जााएगी।

बेंगलुरु से किया गया निर्देशित

इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 ने तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा सफलतापूर्वक बदल ली है। बेंगलुरु में इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क से कक्षा बदलने की प्रक्रिया को निर्देशित किया गया था। मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में स्थित इसरो के ग्राउंड स्टेशनों से आदित्य एल1 के कक्षा बदलने के दौरान उपग्रह को ट्रैक किया गया। इसरो ने अब आगे की तैयारी शुरू कर दी है।

15 सितंबर को चौथी बार बदली जाएगी कक्षा

इसरो के मुताबिक, आदित्य एल1 की नई कक्षा 296 किमी x 71767 किमी है यानी अब यह जिस कक्षा में है, उससे पृथ्वी की न्यूनतम दूरी 296 किमी और अधिकतम दूरी 71767 किमी है। अगली बार 15 सितंबर को तड़के दो बजे फिर से कक्षा बदली जाएगी। इससे आदित्य सूर्य के और करीब पहुंच जाएगा।

कब हुआ था लॉन्च?

आदित्य एल1 को 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था।  यह 15 लाख किमी दूर एल1 प्वाइंट पर जाएगा और सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाएगा। यह मिशन भारत ही नहीं, दुनिया के लिए भी अहम है।

पहली बार कक्षा कब बदली?

आदित्य एल1 ने पहली बार 3 सितंबर को अपनी कक्षा बदली थी। इसके बाद दूसरी बार इसकी कक्षा पांच सितंबर को बदली गई। इसरो चरणबद्ध तरीके से आदित्य को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर पहुंचाएगा।

आदित्य L1 का सफर

PSLV रॉकेट ने आदित्य को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।

16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाएगा।

फिर से आदित्य के थ्रस्टर फायर होंगे और ये L1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।

110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जाएगा

थ्रस्टर फायरिंग से आदित्य को L1 पॉइंट के ऑर्बिट में डाल दिया जाएगा।

एल-1 में स्थापित होते ही आदित्य अध्ययन के काम में जुट जाएगा।

क्या है लैगरेंज पॉइंट-1

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे एल 1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी उस पॉइंट के चारो तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इसलिए आदित्य एल-1 के लिए यह स्थान चुना गया।


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