अहमदाबाद. अहमदाबाद. यहां की विशेष अदालत ने 18 फरवरी को बड़ा फैसला सुनाया। अहमदाबाद धमाके में 49 दोषियों में से 38 को फांसी की सजा सुनाई गई है। 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 26 जुलाई 2008 को हुए धमाके में 56 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, कोर्ट ने कहा कि इन धमाकों में मारे गए लोगों के परिवारवालों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की सहायता दी जाएगी।
8 फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दोषी करार दिया था। इनमें से एक एक दोषी अयाज सैयद को जांच में मदद करने के एवज में रिहा किया जा चुका है। इसके अलावा 29 अन्य लोग भी सबूतों के अभाव में छूट हो चुके हैं।
21 धमाके हुए थे: 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया। धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर केस चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 FIR, जबकि सूरत में 15 अन्य FIR दर्ज की गई थीं। कई स्थानों से जिंदा बम भी बरामद किए गए थे। सूरत पुलिस ने अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जो गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से फट नहीं पाए थे।
इस कांड के जवाब में ब्लास्ट: अहमदाबाद ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने किए थे। धमाकों से से कुछ देर पहले, टीवी चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसमें कथित तौर पर IM ने चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। पुलिस इस मामले के एक अन्य आरोपी यासीन भटकल पर नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया और 15 अगस्त 2008 को गिरफ्तारी का पहला सेट बनाया था। दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ केस की शुरुआत हुई थी।
19 दिन में पकड़े गए 30 आतंकी: स्पेशल टीम ने महज 19 दिन में 30 आतंकियों को पकड़ लिया था। इसके बाद बाकी आतंकी देश के अलग-अलग शहरों से पकड़े जाते रहे। अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले IM ने जयपुर और वाराणसी में भी धमाकों को अंजाम दिया था। देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थी, लेकिन ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए। अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिन यानी 27 जुलाई को सूरत में भी सीरियल ब्लास्ट की कोशिश की गई थी, लेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से ये फट नहीं पाए थे।