NEW DELHI. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन यानी 4 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। चुनाव नतीजों से ही तय होगा कि लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में से कौन ज्यादा आक्रामक रुख अपनाता है। बीजेपी भी लोकसभा चुनाव से पहले ‘यूसीसी कार्ड’ चलने की तैयारी में नजर आ रही है। मोदी सरकार कई अन्य विधेयकों को भी पास करा सकती है। दूसरी ओर, विपक्ष जिन मुद्दों को उछाल सकता है, उनमें जातीय जनगणना की मांग सबसे प्रमुख है। ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कथित एकतरफा कार्रवाइयों के खिलाफ ‘इंडिया’ ब्लॉक एकजुट है। सत्र की शुरुआत से पहले ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप और एथिक्स कमेटी की ओर से उन्हें सदन से निकालने की सिफारिश की जा चुकी है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के सांसद राघव के निलंबन का मामला भी गूंजने के आसार हैं। ऐसे में विपक्ष की ओर से टकराव की संभावना बढ़ गई है।
क्या है बीजेपी का प्लान?
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इस सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) यानी यूसीसी पर भी बहस छेड़ना चाहेगी। हालांकि इस मुद्दे पर अभी लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है। इसके अलावा सरकार विंटर सेशन में आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस लॉ से जुड़े तीनों बिल पारित करा सकती है। पिछले सत्र में ये विधेयक गृह मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के पास भेजे गए थे। समिति ने तीनों बिल पर अपनी सिफारिशें दे दी हैं। विपक्षी सदस्यों ने समिति में अपने असहमति के पत्र देकर अपना इरादा साफ कर दिया है कि सदन में जब भी ये बिल आएंगे तो रास्ता आसान नहीं होगा।
दंड संहिता समेत कई बिल ला सकता है केंद्र
भारतीय दंड संहिता में परिवर्तन से जुड़े 3 विधेयकों के अलावा निस्तारण एवं संशोधन बिल 2022, जिसके तहत 65 पुराने कानून हटाने की व्यवस्था है।
- पोस्ट ऑफिस बिल 2023
- अधिवक्ता संशोधन बिल 2023
- प्रेस एवं सावधि पंजीकरण बिल 2023
- वरिष्ठ नागरिक कल्याण बिल 2023
- संविधान संशोधन-एससी,एसटी ऑर्डर 2023
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अधिकार संबंधी बिल के आसार
सितंबर में बुलाया गया था विशेष सत्र
सत्र की शुरुआत 18 सितंबर को पुरानी संसद से हुई। पीएम नरेंद्र मोदी ने पुराने भवन में 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी थी। नई संसद में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल सर्वसम्मति से पास हो गया। महिला आरक्षण बिल नई संसद में पेश और पास होने वाला पहला बिल बना।
अब आगे क्या?
बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। 50% विधानसभाओं से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर से यह कानून बन जाएगा। कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी।