Bhopal. देशभर में आज यानी 10 जुलाई को 'बकरीद'(Bakrid) का फेस्टिवल (festival)धूमधाम से सेलिब्रेट कर रहे है। कुर्बानी (sacrifice) के इस फेस्टिवल को लेकर पूरे देश में जबरदस्त उत्साह है। मुस्लिम समाज के लोग इस फेस्टिवल को कुर्बानी के तौर पर इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट कर रहे हैं। बकरीद सेलिब्रेट करने के पीछे हजरत इब्राहिम की लाइफ से जुड़ी एक बड़ी घटना है। इस फेस्टिवल को मुस्लिम समुदाय (Muslim community)के लोग पूरे जोश के साथ सेलिब्रेट कर रहे है।
बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार
ईद उल अजहा या बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा फेस्टिवल है। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर (Bakrid Islamic Calendar) के मुताबिक 12वें महीने में मनाया जाता है। रमजान(Ramadan) का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद सेलिब्रेट किया जाता है। पहले नमाज पढ़ा जाता है फिर कुर्बानी दी जाती है।
बकरीद फेस्टिवल को ये भी कहा जाता
बकरीद के फेस्टिवल को बकरीद, ईद कुर्बान, ईद-उल अजहा या कुर्बान बयारामी भी कहा जाता है।
बकरीद का तीन भागों में किया जाता है बंटवारा
बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। उसे तीन भागों में बांटा जाता है। इसका पहला भाग रिश्तेदारों ,दोस्तों और पड़ोसियों को दिया जाता है। दूसरा भाग गरीबों को दिया जाता है। जबकि तीसरा भाग परिवार वालों को दिया जाता है।
बकरीद सेलिब्रेट करने के पीछे की मान्यता
इस्लाम धर्म के मुताबिक,हजरत इब्राहिम अल्लाह (Hazrat Ibrahim Allah) के पैगंबर थे। वो पैगंबर पर बहुत ज्यादा विश्वास करते थे। इसके अलावा वो उनके कहे हुए रास्ते में ही चलते थे हमेशा। एक दिन ऐसा आया जब हजरत इब्राहिम अल्लाह को एक सपना आया। सपने में उन्हें नजर आया कि पैगंबर उनके पास आए और बोले कि वो अपनी लाइफ में जिस भी चीज से सबसे ज्यादा प्यार करते है, उस चीज का त्याग करने की बात कही। पैगंबर की बात सुनकर हजरत इब्राहिम अल्लाह ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। जब इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे, उसी वक्त पैगंबर ने अपने दूत भेजकर बेटे को एक बकरे में बदल दिया। बस तभी से बकरीद का फेस्टिवल धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है।