LUCKNOW. बीजेपी आलाकमान ने भूपेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष बनाया है। इससे पहले स्वतंत्र देव सिंह यूपी में पार्टी अध्यक्ष थे। भूपेंद्र सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं। माना जा रहा है कि 2024 को देखते हुए भूपेंद्र को ये कमान दी गई है। भूपेंद्र चौधरी फिलहाल यूपी सरकार में मंत्री हैं। वे पश्चिमी यूपी के ताकतवर नेता माने जाते हैं। वे पहले मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि ये चुनाव वे हार गए थे।
बीजेपी ने पहली बार जाट नेता को यूपी की कमान दी
बीजेपी का भूपेंद्र चौधरी को यूपी में पार्टी अध्यक्ष बनाने की बड़ी वजह आगामी लोकसभा चुनाव में जाट मतदाताओं को साधना भी है। बीजेपी में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत है, लिहाजा चौधरी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। पहली बार किसी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। भूपेंद्र चौधरी का जन्म 1968 में मुरादाबाद के महेंदरी सिकंदरपुर में हुआ था। वे बीजेपी से करीब 33 सालों से जुड़े हैं।
राजनीति का लंबा अनुभव
संगठन का लंबा तजुर्बा, जाट बिरादरी और राजनीतिक अनुभव प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह के पक्ष में रहे। भूपेंद्र 2007 से 2012 तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री रहे। 2011-2018 तक लगातार तीन बार पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रहे। भूपेंद्र ने 1999 में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ संभल से लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकि वे हार गए।
2017 में योगी सरकार में मंत्री बने
भूपेंद्र 2016 में पहली बार विधान परिषद सदस्य चुने गए थे। 2017 में प्रदेश मे बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें पंचायती राज विभाग का राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था। 2019 में मंत्रिमंडल फेरबदल में चौधरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। योगी सरकार 2.0 में चौधरी को दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाते हुए पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी दी गई। चौधरी हाल ही में फिर से विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
बीजेपी की जाट वोट बैंक पर नजर
चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। पार्टी आलाकमान का मानना है कि चौधरी को कमान देने से लोकसभा चुनाव में सपा और रालोद गठबंधन से संभावित नुकसान को कम किया जा सकेगा। वहीं लगातार दूसरी बार पिछड़े वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पश्चिम से पूर्वांचल तक ओबीसी वोट बैंक में अच्छा संदेश जाएगा।