Panaji.मप्र में कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद अब गोवा में भी पार्टी के कुछ विधायक बगावती राह पर हैं जिससे कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में हड़कंप मचा है। दरअसल कांग्रेस के 11 में से पांच विधायक लापता बताए जा रहे हैं। खास बात है यह कि इसमें गोवा कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व सीएम दिगंबर कामत का नाम भी शामिल है। इस खबर के सामने आने के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)ने आनन-फानन में पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik) से राज्य में ‘‘ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने’’ के लिए गोवा भेज दिया। वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव के सी वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष ने सांसद मुकुल वासनिक को गोवा में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए वहां जाने को कहा है.’’ गोवा में विपक्षी दल कांग्रेस ने बताया कि राज्य में उसके 11 में से पांच विधायकों से ‘‘संपर्क नहीं हो पा रहा है और उसने अपने दो विधायकों माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर BJP के साथ मिलकर पार्टी के खिलाफ ‘‘साजिश’’ रचने का आरोप लगाया. यह घटनाक्रम इन अटकलों के बीच सामने आया है कि 40 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के कुछ विधायक BJP में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस के गोवा डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने कहा कि लोबो और कामत के अलावा, पार्टी के तीन अन्य विधायकों से ‘‘संपर्क नहीं हो पा रहा है।’’ राव ने कहा कि पार्टी के पांच विधायक - लोबो, कामत, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई और डेलियाला लोबो से संपर्क नहीं हो पा रहा है। राव ने कहा एलओपी माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत गोवा में कांग्रेस में दलबदल सुनिश्चित करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर साजिश रच रहे थे। पार्टी ने लोबो को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘छठे विधायक एलेक्सो सिकेरा पार्टी नेताओं के संपर्क में है और कांग्रेस के साथ हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के पास वर्तमान में 20 विधायक हैं और उसे पांच अन्य का भी समर्थन प्राप्त है. इस साल फरवरी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीट पर जीत हासिल की थी.
दिग्विजय बोले- लोकतंत्र नहीं, धन तंत्र
इस बीच, गोवा में कांग्रेस के कुछ विधायकों के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि भाजपा का ‘‘धन तंत्र’’ है। उन्होंने आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर सोलापुर जिले के पंढरपुर में भगवान विट्ठल की पूजा करने के बाद पत्रकारों से यह कहा।
कांग्रेस के 11 विधायकों में से कुछ के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इस बात की जांच करने की जरूरत है कि इनमें से कितने विधायक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘यदि आप इसके बारे में जानते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि यह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि यह बीजेपी का धनतंत्र है.’’
लोबो को नेता प्रतिपक्ष से हटाया
कांग्रेस ने लोबो को गोवा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) के पद से हटा दिया है। गोवा में यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल में पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सत्तारूढ़ शिवसेना के कुछ विधायकों के बागी हो जाने के कारण महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई। कांग्रेसी विधायकों के लापता होने के बाद गोवा से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा है। हालांकि गोवा में दल बदल कोई नई बात नहीं है इससे पहले भी दल बदल के मामले सामने आ चुके है। इस छोटे से राज्य में राजनैतिक अस्थितरता कई बार देखने को मिली है।
गोवा कांग्रेस में 11 विधायक
गोवा में कांग्रेस के इस समय 11 विधायक हैं। खबरों की मानें तो इनमें से 10 अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पार्टी का टूटना लगभग तय है। क्योंकि इतनी संख्या में पाला बदलने वाले विधायकों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो सकती।
गोवा में पालाबदल का रिकॉर्ड
गोवा में पालाबदल का पुरान रिकॉर्ड है। वहां पिछले करीब 05 सालों में 50 फीसदी से ज्यादा विधायक पालाबदल कर आयाराम-गयाराम की राजनीति को चरितार्थ कर रहे हैं। गोवा में अगर सरकार बनते समय बड़े पैमाने पर ये खेल हुआ तो वो चुनावों के ठीक पहले तक भी जारी है। हालांकि इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को हुआ था। वर्ष 2017 में जब गोवा में चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस ने 17 सीटें जीतीं और बीजेपी ने 13. अन्य दलों में एनसीपी ने 01 और गोवा फारवर्ड पार्टी ने 03, निर्दलियों ने 03 सीटें जीतीं। बीजेपी का चुनाव पूर्व गठबंधन गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ था। इस लिहाज से बीजेपी के पास 16 सीटें थीं, लेकिन बहुमत के लिए उसको अब भी 04 सीटों की जरूरत थी। एक झटके में कांग्रेस के 10 विधायक टूटकर बीजेपी में चले गए और उनकी सरकार बन गई। दरअसल 2022 के चुनावों से पहले, कांग्रेस ने अपने विधायकों को चर्च और मंदिर दोनों के सामने शपथ दिलाई थी कि वे पार्टी को नहीं छोड़ेंगे और चुने जाने के बाद भाजपा में नहीं जाएंगे।