पटना. क्या लड़कों को भी माहवारी (menstruation) होती है? इसका जवाब एक झटके में ही ना होगा। लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है। यहां के एक सरकारी स्कूल में लड़कों को भी सैनेटरी पैड्स (Sanitary Pads) के पैसे बांट दिए।
मामला सारण के मांझी ब्लॉक के हलखोरी साह हाईस्कूल में लड़कियों के लिए चलाई जा रही सैनेटरी नैपकिन (Sanitary Napkin) और पोशाक योजना का फायदा कई लड़कों को भी दे दिया। यह घोटाला (Scam) तब उजागर हुआ, जब स्कूल के हेडमास्टर के रिटायरमेंट के बाद दूसरे हेडमास्टर ने पदभार संभाला।
ऐसे हुआ खुलासा: नए हेडमास्टर से जब शिक्षा विभाग ने पुरानी योजनाओं के उपयोगिता सर्टिफिकेट मांगे, तो पता चला कि करीब एक करोड़ की योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए। इसके बाद जब जांच शुरू की गई, तब बैंक स्टेटमेंट खंगालने के दौरान पता चला कि लड़कियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की रकम लड़कों के खातों में भी ट्रांसफर की जाती रही।
2 सदस्यीय समिति जांच करेगी: सारण जिला शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह (DEO) ने बताया कि 2016-17 के दौरान एक स्कूल के 7 लड़कों को भी सैनेटरी नैपकिन के लिए कथित रूप से हर महीने 150 रुपए की रकम बांटी गई थी। सिंह ने बताया कि मांझी ब्लॉक के हलकोरी साह हाईस्कूल के हेडमास्टर ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। अब मामले की जांच के लिए 2 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
ये है योजना: नीतीश कुमार सरकार स्वच्छता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने की योजना के तहत राज्य की छात्राओं को मुफ्त में सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए हर महीने 150 रुपए देती है। नीतीश ने फरवरी 2015 में सरकारी स्कूलों में लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन के लिए राशि देने घोषणा की थी। राज्य सरकार इसके लिए सालाना करीब 60 करोड़ रुपए खर्च करती है। इस योजना का लाभ सरकारी स्कूलों की करीब 37 लाख छात्राओं को मिलता है।