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NEW DELHI. चुनावी फंडिंग में काले धन (Black Money) के इस्तेमाल पर रोकथाम लगाने की कवायद के तहत चुनाव आयोग ने 19 सितंबर को अज्ञात स्रोत से मिले राजनीतिक चंदे की सीमा को 20,000 रुपए से घटाकर 2,000 रुपये और नकद दान को 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक सीमित करने का प्रस्ताव भेजा है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू को पत्र लिखकर प्रतिनिधित्व अधिनियम में कई संशोधनों की सिफारिश की है।
प्रस्तावों का उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाली चंदा प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता लाना एवं चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्च की सही जानकारी हासिल करना है। यह कदम हाल ही में 284 डिफॉल्ट और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाने वाले पोल पैनल की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। इसमें से 253 से ज्यादा को निष्क्रिय घोषित कर दिया गया है। हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कर चोरी के आरोप में देशभर में ऐसी कई संस्थाओं के ठिकानों पर छापामारी की थी।
चुनाव आयोग ने नकद दान को सीमित करने को कहा
आयोग ने पाया कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत की रिपोर्ट में मिले चंदे तो शून्य दिखाए गए थे लेकिन खातों के ऑडिट में कई रसीदें पाई गई थीं। इससे साबित हो रहा था कि 20,000 रुपए की सीमा से नीचे नकद में बड़े पैमाने पर लेनदेन किया गया। चुनाव आयोग ने किसी पार्टी द्वारा प्राप्त कुल फंड में से कैश डोनेशन को 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रुपए, जो भी कम हो, पर सीमित करने की भी मांग की है।
2000 रुपए से ज्यादा के चंदे की देनी होगी जानकारी, भुगतान डिजिटली हो
मौजूदा वक्त में राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग में जमा की जाने वाली रिपोर्ट में 20,000 रुपए से ऊपर सभी प्रकार के चंदों की जानकारी देनी होती है। अगर चुनाव आयोग के प्रस्ताव को कानून मंत्रालय स्वीकार कर लिया जाता है तो 2000 रुपए से ज्यादा के चंदों की भी जानकारी जाहिर करनी होगी।
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले खर्च में पारदर्शिता लाने के लिए एक पार्टी/व्यक्ति को किए गए 2,000 रुपए से ऊपर के सभी भुगतानों को डिजिटल या अकाउंट पेयी चेक से करने को अनिवार्य बनाने की मांग की है।
विदेशी चंदे की रोकथाम के लिए तंत्र विकसित करना चाहता है आयोग
वर्तमान कानूनों के तहत कोई भी राजनीतिक दल विदेशों से चंदा नहीं ले सकता। ये आरपी एक्ट और विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआए) 2010 का उल्लंघन है। सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दलों को मिले विदेशी चंदे की जानकारी को अलग किया जा सके, खासकर शुरुआती दौर में। आयोग इस बारे में संबंधित मंत्रियों के साथ एक व्यापक चर्चा करना चाहता है, ताकि विदेशी चंदे की पहचान, रोकथाम करने और इसको लेकर तंत्र विकसित किया जा सके।
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