NEW DELHI. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार, 26 नवंबर को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लोक अदालत के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है और नागरिकों को अदालतों में न्याय के लिए जाने से नहीं डरना चाहिए या इसे अंतिम उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, जिस तरह संविधान हमें स्थापित लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं के माध्यम से राजनीतिक मतभेदों को हल करने की अनुमति देता है, इसी तरह अदालती प्रणाली स्थापित सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के माध्यम से कई असहमतियों को सुलझाने में मदद करती है।
संविधान दिवस समारोह का राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन
सीजेआई ने शीर्ष अदालत में 'संविधान दिवस' समारोह के उद्घाटन के अवसर पर कहा, 'इस तरह देश की हर अदालत में हर मामला संवैधानिक शासन का विस्तार है।' राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दिया। इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
सीजेआई ने यह भी कहा
सीजेआई चंद्रचुड़ ने कहा कि पिछले सात दशकों में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने लोक अदालत के रूप में काम किया है। हजारों नागरिकों ने इस विश्वास के साथ इसके दरवाजे खटखटाये हैं कि उन्हें इस संस्था के माध्यम से न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि नागरिक अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा, गैर-कानूनी गिरफ्तारियों के खिलाफ जवाबदेही, बंधुआ मजदूरों के अधिकारों की रक्षा, आदिवासियों द्वारा अपनी भूमि की रक्षा करने की मांग, हाथ से मैला उठाने जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम और स्वच्छ हवा पाने के लिए हस्तक्षेप की उम्मीद के साथ कोर्ट पहुंचते हैं।
न्याय प्रक्रिया को गति देने कोई भी सीजेआई को लिख सकता है पत्र
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये मामले अदालत के लिए सिर्फ उदाहरण या आंकड़े नहीं हैं। ये मामले सुप्रीम कोर्ट से लोगों की अपेक्षाओं के साथ-साथ नागरिकों को न्याय देने को लेकर कोर्ट की अपनी प्रतिबद्धता से मेल खाते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया की एकमात्र अदालत है, जहां कोई भी नागरिक सीजेआई को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक तंत्र को गति दे सकता है।
'कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर रहीं अदालतें'
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतें अब अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर रही हैं और यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि नागरिकों को पता चले कि अदालत कक्षों के अंदर क्या हो रहा है। उन्होंने कहा, अदालतों की कार्यवाही के बारे में लगातार मीडिया रिपोर्टिंग अदालत कक्षों के कामकाज में जनता की भागीदारी को इंगित करती है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने कृत्रिम मेधा (एआई) और प्रौद्योगिकी की मदद से अपने फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने का भी निर्णय लिया है।
'कोर्ट के फैसले ई-एससीआर प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में उपलब्ध'
सीजेआई ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पहली बैठक की तारीख से 25 नवंबर, 2023 तक 36,068 फैसले अंग्रेजी में दिए हैं, लेकिन हमारी जिला अदालतों में कार्यवाही अंग्रेजी में नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि ये सभी फैसले ई-एससीआर प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में उपलब्ध हैं। इस मंच की शुरुआत इस साल जनवरी में की गई थी। उन्होंने कहा, आज, हम हिंदी में ई-एससीआर की शुरुआत कर रहे हैं, क्योंकि 21,388 फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, जांचा गया है और ई-एससीआर पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
फैसलों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद
CJI ने कहा, इसके अलावा, शनिवार शाम तक 9,276 फैसलों का पंजाबी, तमिल, गुजराती, मराठी, मलयालम, बंगाली और उर्दू सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका द्वारा इसके इस्तेमाल के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने अदालतों में 'ई-सेवा केंद्र' शुरू किए जाने का भी जिक्र किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नागरिक न्यायिक प्रक्रिया में पीछे न छूट जाए।
राष्ट्रपति को किया आश्वस्त, कहा- कानूनी प्रक्रियाएं आसान और सरल कर रहे
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले साल संविधान दिवस पर राष्ट्रपति ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और समाज में हाशिये पर मौजूद लोगों को जेल में रखे जाने पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, '…मैं आपको (राष्ट्रपति को) आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं कि कानूनी प्रक्रियाएं आसान और सरल हो जाएं, ताकि नागरिक अनावश्यक रूप से जेलों में बंद न रहें।'
'रिहाई के आदेश की त्वरित प्रक्रिया शुरू कर रहे'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 'फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स' (फास्टर) ऐप्लिकेशन का संस्करण 2.0 रविवार को शुरू किया जाएगा, जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति की रिहाई का न्यायिक आदेश तुरंत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जेल अधिकारियों, जिला अदालतों और उच्च न्यायालयों को हस्तांतरित किया जाए, ताकि संबंधित व्यक्ति को समय पर रिहा किया जा सके।
'संविधान दिवस का जश्न सामाजिक जीवन का प्रतीक'
सीजेआई ने कहा कि जब देश पहले से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाता है, फिर अलग संविधान दिवस क्यों? उन्होंने कहा, 'इसका जवाब उन देशों की तुलना में हमारे लोकतंत्र की सफलता में निहित है, जिन्होंने भारत के साथ ही उपनिवेशवाद से आजादी हासिल की थी।' उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल अपने संविधान को कायम रखा, बल्कि लोगों ने इसे अपनी आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में आत्मसात किया। सीजेआई ने कहा, संविधान दिवस का जश्न एक स्वतंत्र राष्ट्र के सामाजिक जीवन का प्रतीक है।