कोलकाता. बीरभूम हिंसा और आगजनी केस की अब CBI जांच होगी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में तृणमूल नेता की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी। यहां कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया। आग से जलकर 2 बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 3 महिलाएं भी थीं। मामले में अब तक 20 लोगों को अरेस्ट किया गया है।
कोर्ट ने ये कहा: बंगाल पुलिस की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) केस को केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को सौंप देगी। कोर्ट ने 25 जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा कि सबूतों और घटना का असर बताता है कि राज्य पुलिस इसकी जांच नहीं कर सकती। कोर्ट ने सीबीआई को 7 अप्रैल तक अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया है।
बीरभूम हिंसा में कोलकाता हाईकोर्ट ने खुद नोटिस (स्वत: संज्ञान) लेते हुए सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने पहले खुद सीबीआई जांच की मांग को नकारा था और कहा था जांच का पहला मौका राज्य को दिया जाना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट में PIL: बीरभूम हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। शीर्ष कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में SIT गठन कर जांच की मांग की गई है। यह भी कहा कि मामले में SIT या फिर सीबीआई से जांच कराई जाए। ये याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है।
फोरेंसिक रिपोर्ट ने चौंकाया: बीरभूम हिंसा मामले में फोरेंसिक रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मृतकों को जिंदा जलाने से पहले बुरी तरह से पीटा गया। मामले में चौतरफा घिरी ममता बनर्जी सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद टीएमसी के ही आरोपी नेता अनारुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, इलाके के थाना प्रभारी को त्रिदीप प्रमाणिक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया।
उधर, हिंसा को लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच घमासान जारी है। टीएमसी सांसदों ने 24 मार्च को गृह मंत्री अमित शाह ने मुलाकात की और हिंसा पर बयानबाजी को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग की।
केंद्रीय एजेंसियों की जांच की मांग का बंगाल सरकार का विरोध: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार ने सीबीआई या एनआईए जांच के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि बंगाल सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच कर रही है। उसे समय दिया जाना चाहिए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कहा था कि सीबीआई या एनआईए जांच शुरू करने के लिए तैयार हैं, यदि हाईकोर्ट इसके लिए आदेश जारी करता है।