रायपुर. छत्तीसगढ़ के जंगलों से जुड़ी दो खबरें हैं और दोनों का आपस में गहरा रिश्ता है। पहली खबर ये कि गर्मी आते ही जंगलों में आग दिखने लगी है। दूसरी खबर है कि रेंजर श्रेणी को छोड़ दें तो डिप्टी रेंजर से लेकर वनरक्षक (जिनकी संख्या करीब 2500 है) हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ के जंगलों की आग पहले चिंताजनक नहीं मानी जाती थी। क्योंकि गर्मी में आग लगने को सामान्य घटना माना जाता था। आग के भयावह रूप में आने से पहले ही वन अमला उस पर काबू पा लेता था। इस बार आग पर काबू कैसे पाया जाएगा, वन कर्मचारियों की हड़ताल ने इसे लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बीते करीब पखवाड़े भर से प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में जंगल में आग की खबरें आ रही हैं। हालांकि, अब तक कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं है कि जिसमें आग के भीषण स्वरूप धारण करने का ब्योरा दर्ज हो। लेकिन अलग-अलग जगहों में आग लगने में इजाफा जरूर देखा जा रहा है। आग बस्तर, कोरिया, कोरबा और सरगुजा के जंगलों में लगी है।
ये आग कब और कैसे बुझेगी
छत्तीसगढ़ के जंगलों में लगी आग।
2500 कर्मचारी हड़ताल पर होने से परेशानी।
डिप्टी रेंजर से लेकर वनरक्षक तक हड़ताल पर।#Chhattisgarh @INCChhattisgarh @bhupeshbaghel @PIBRaipur pic.twitter.com/rhQ8Y6vjNT
— TheSootr (@TheSootr) March 29, 2022
वन विभाग का अपना तर्क: इस मसले पर चिंताओं को छत्तीसगढ़ वन विभाग के सबसे बड़े अधिकारी राकेश चतुर्वेदी (PCCF) खारिज करते हैं। हालांकि वे मानते हैं कि आग लगने की खबरें है, पर वे इसे नियंत्रित बताते हैं। हालांकि ये भी स्वीकारते हैं कि हड़ताली अमले की वजह से व्यवस्था को और बेहतर करने में स्वाभाविक रूप से दिक्कतें हैं।
असलियत क्या: भारतीय वन सर्वेक्षण की स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 106 वर्ग किलोमीटर के वन आवरण की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, जंगल में लगने वाली आग को लेकर यह माना जाता है कि बहुतायत में महुआ और कुछ अन्य वनोपज को हासिल करने के दौरान आग लगती है। कई बार यह मौसम की वजह से भी होता है।
इधर, छत्तीसगढ़ में तापमान तेजी से बढ़ा है। कई इलाके 40 डिग्री टेम्परेचर पर टिके हैं या उससे थोड़े ही आगे-पीछे हैं। अब स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट के आंकड़े से छत्तीसगढ़ वन विभाग खुश हो सकता है। लेकिन वन विभाग के अमले की कुछ और वक्त तक गैरमौजूदगी रही तो जंगल की परेशानी खासी बढ़ सकती है।