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आज सुबह फिल्म पत्रकारिता का एक सितारा अनंत में विलीन हो गया। सीनियर जर्नलिस्ट और फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे नहीं रहे। 2 मार्च को जयप्रकाश चौकसे का निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। दैनिक भास्कर में उन्होंने 26 साल तक परदे के पीछे कॉलम लिखा। उन्होंने 25 फरवरी को अपना आखिरी कॉलम था। इसकी हेडलाइन थी- यह विदा है, अलविदा नहीं, कभी विचार की बिजली कौंधी तो फिर रूबरू हो सकता हूं, लेकिन संभावनाएं शून्य हैं।
बुरहानपुर में 1 सितंबर 1939 को जयप्रकाश चौकसे का जन्म हुआ था। यहीं से उन्होंने मेट्रिक की पढ़ाई की थी। फिल्म पत्रकारिता में जय प्रकाश चौकसे बड़ा नाम थे। 83 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांसे ली। वह अपने अंतिम दिनों में भी अस्पताल के बिस्तर से ही कॉलम लिखते रहे थे।