JAMMU: कारगिल विजय दिवस समारोह में राजनाथ बोले- मैं नेहरू की आलोचना नहीं कर सकता, उनकी नीति गलत हो सकती है, नीयत नहीं

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Naveen Modi
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JAMMU: कारगिल विजय दिवस समारोह में राजनाथ बोले- मैं नेहरू की आलोचना नहीं कर सकता, उनकी नीति गलत हो सकती है, नीयत नहीं

JAMMU. कारगिल विजय दिवस के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू में शहीदों के परिवारों का सम्मान किया। आरएसएस से जुड़े संगठन जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम की तरफ से कारगिल विजय दिवस और स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम करवाया गया। गुलशन ग्राउंड में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में सिंह ने कारगिल युद्ध के शहीदों के बारे में बताया। इस दौरान राजनाथ सिंह बोले कि, कारगिल विजय सेना के शौर्य और पराक्रम का गौरवपूर्ण अध्याय है।





रक्षामंत्री ने आगे कहा कि, ‘पंडित नेहरू की बहुत से लोग आलोचना करते हैं। मैं एक विशेष राजनीतिक दल से आता हूं। लेकिन मैं पंडित नेहरू या किसी अन्य भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर सकता। मैं किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नीयत को गलत नहीं ठहरा सकता। उनकी नीति भले गलत रही हो, लेकिन नीयत नहीं।’





पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है: राजनाथ सिंह





उन्होंने कहा 1962 की जंग के बारे में बात करते हुए कहा कि ‘इतना तय है कि 1962 के युद्ध का बड़ा खामियाजा भारत ने भुगता। चीन ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू थे। हालांकि, आज का भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है।’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि ‘पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत की संसद में प्रस्ताव पारित हुआ था। पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और रहेगा। ये कैसा हो सकता है कि शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे यहां हो और मां शारदा शक्ति स्वरूपा एलओसी के पार हों।’





शहीदों के परिवारों को किया सम्मानित





अपने संबोधन के दौरान रक्षामंत्री ने बिग्रेडियर उस्मान और मेजर शैतान सिंह को भी याद किया। वहीं राजनाथ सिंह ने शॉल और स्मृति चिह्न देकर शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया।  इस कार्यक्र्रम में राजनाथ सिंह के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी शामिल रहे। समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की भी मौजूदगी रही। 





कार्यक्रम में 1947 से लेकर अब तक देश की आंतरिक और सीमा पर सुरक्षा करते सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस सहित अन्य सुरक्षा बलों के जवानों के सर्वाेच्च बलिदान को याद किया गया।



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