NEW DELHI. मोहम्मद पैगंबर से जुड़ी टिप्पणी में नूपुर शर्मा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। 5 जुलाई को देश के 15 रिटायर्ड जजों, 77 ब्यूरोक्रेट्स और 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने ओपन लेटर लिखकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
चिट्ठी के मुताबिक, इस तरह के अपमानजनक बयान का ज्यूडिशियरी के इतिहास में इससे पहले का कोई उदाहरण नहीं है। यह लेटर फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस, जेएंडके एंड लद्दाख एट जम्मू' की ओर से लिखा गया है। इसमें मांग की गई है कि जस्टिस सूर्यकांत के रिटायर होने तक उन्हें सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर से हटा दिया जाना चाहिए। उन्हें नूपुर शर्मा केस की सुनवाई के वक्त की गई टिप्पणियों को वापस लेने को कहा जाना चाहिए।
ये लिखा लेटर
An open letter has been sent to CJI NV Ramana, signed by 15 retired judges, 77 retd bureaucrats & 25 retd armed forces officers, against the observation made by Justices Surya Kant & JB Pardiwala while hearing Nupur Sharma's case in the Supreme Court. pic.twitter.com/ul5c5PedWU
— ANI (@ANI) July 5, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने पार की लक्ष्मण रेखा
लेटर में रिटायर्ड जजों और अन्य अधिकारियों ने कहा कि निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के मामले में शीर्ष कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी। न्यायपालिका के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों की ऐसी कोई मिसाल नहीं है। ये सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर अमिट निशान है। इसमें सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए, क्योंकि इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकता है।
टिप्पणियां न्यायिक लोक व्यवहार के खिलाफ
पूर्व जजों, अफसरों और सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि शीर्ष कोर्ट की टिप्पणियां ज्यूडिशियल ऑर्डर का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इनके जरिए न्यायिक औचित्य और निष्पक्षता को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।
लेटर पर इन लोगों के साइन
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस क्षितिज व्यास, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएम सोनी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज आरएस राठौर और प्रशांत अग्रवाल, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, रिटायर्ड राजदूत निरंजन देसाई, पूर्व डीजीपी एसपी वेद और बीएल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी (रिटायर्ड) और एयर मार्शल (रिटायर्ड) एसपी सिंह ने भी बयान पर दस्तखत किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था
शीर्ष कोर्ट ने 1 जुलाई को सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा को जमकर फटकार लगाई थी। नूपुर के पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक बयान पर देश में मचे बवाल के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था। नूपुर को टीवी पर आकर माफी मांगने का भी सुझाव दिया था। यह भी कहा था कि देश में उनके बयान के कारण आग लगी है, देश में जो भी हो रहा है, उसके लिए वही जिम्मेदार है। इन टिप्पणियों के साथ ही शीर्ष कोर्ट ने नुपुर शर्मा के खिलाफ देशभर में दर्ज एफआईआर को एकजुट कर दिल्ली स्थानांतरित करने और यहीं सुनवाई की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी थी। नूपुर ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सारे केस दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील की थी।
वे पूर्व जज, ब्यूरोक्रेट्स, आर्मी पर्संस, जिन्होंने लेटर लिखा
The letter stated that the roster of Justice Surya Kant be withdrawn till he attains superannuation and least be directed to withdraw the remarks and observations made by him during the hearing of the Nupur Sharma case. pic.twitter.com/xUQUYbYjX7
— ANI (@ANI) July 5, 2022