नई दिल्ली. किसान संगठनों (Kisan Organisations) ने बीते एक साल (378 दिन) से चल रहे आंदोलन (Protest) को 9 दिसंबर को खत्म करने का ऐलान किया। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हमने प्रदर्शन खत्म करने का फैसला किया है। 15 जनवरी को रिव्यू मीटिंग करेंगे। अगर सरकार ने वादे पूरे नहीं किए तो दोबारा से प्रदर्शन शुरू करेंगे। उधर, दर्शन पाल सिंह ने कहा कि किसान 11 दिसंबर से प्रदर्शन की जगहों को खाली कर देंगे।
सिंघु-कोंडली बॉर्डर से टेंट हटने शुरू
दिल्ली की सीमाओं (Delhi Borders) पर डटे किसानों ने भी घर वापसी की तैयारी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर बीते एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं। किसानों ने बॉर्डर पर बनाए टेंट (Tent) उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने हमारी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वे वापस लौट रहे हैं।
उधर, किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा धरना स्थगित कर दिया गया है और हर महीने SKM की बैठक होगी। अगर सरकार दाएं-बाएं होती हैं तो फिर से आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया जा सकता है। दिल्ली बॉर्डर से किसान 11 दिसंबर से हटने शुरू होंगे। 13 दिसंबर को अमृतसर में हरमिंदर साहिब पर मत्था टेकेंगे। वहीं, 15 दिसंबर से पंजाब के टोल प्लाजा पर डटे हुए किसान भी हट जाएंगे।
सरकार के प्रस्ताव में क्या?
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार की ओर से जो नया प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर जो समिति बनाई जाएगी, उसमें SKM के सदस्यों को शामिल करने की बात मान ली है। इसके साथ ही सरकार ने ये भी प्रस्ताव में लिखा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने पर सहमत हो गई हैं। दिल्ली में भी किसानों के ऊपर जो मामले दर्ज हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। सरकार के भेजे प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि राज्यों से MSP पर फसलों की खरीद में कोई कमी नहीं की जाएगी। सरकार ने ये भी बताया कि जब तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ बात नहीं होती, तब तक बिजली संशोधन बिल को संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की बॉर्डर पर जमे किसान
सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को पास किया था। इसके खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। किसानों की एक मांग थी कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था। तीनों कृषि कानूनों की वापसी हो चुकी है।
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