MUMBAI. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 सितंबर) को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका सुनवाई की। कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। इसके बाद मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष को याचिका पर फैसला लेने के लिए समयसीमा तय करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने एक सप्ताह की दी मोहलत
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 56 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को एक सप्ताह के भीतर सुनवाई के लिए अपने सामने सूचीबद्ध करें। कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए एक समय-सारणी निर्धारित करने का भी निर्देश दिया है।
स्पीकर कोर्ट की गरिमा का रखें ध्यानः SC
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसले में देरी पर कहा कि विधानसभा के अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। हम कोर्ट के निर्देशों के प्रति आदर और सम्मान की अपेक्षा करते हैं।
11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया?
कोर्ट ने कहा कि स्पीकर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक लंबिक नहीं रख सकते। कोर्ट के निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। सीजेआई ने संविधान पीठ के फैसले का जिक्र करते हुए पूछा कि कोर्ट के 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया? पीठ ने यह भी कहा कि मामले में दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 34 याचिकाएं लंबित हैं। दरअसल, फैसले में स्पीकर को उचित अवधि में अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया गया था।
सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई
कोर्ट शिवसेना (UBT) के सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा...
याचिका पर दलील देते हुए उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर को कई अभ्यावेदन भेजे गए। चूंकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वर्तमान रिट याचिका चार जुलाई को दायर की गई और 14 जुलाई को नोटिस जारी किया गया। उन्होंने कहा कि स्पीकर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत किसी मामले का निर्णय करते समय एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता है और सुप्रीम कोर्ट एक न्यायाधिकरण को परमादेश जारी कर सकता है।
तुषार मेहता दलील पर जताई आपत्ति
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपील सिब्बल की दलीलों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह उपहास करने जैसा है। एक बात नहीं भूलनी चाहिए कि स्पीकर एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं। हम अन्य संवैधानिक निकाय के सामने उनका उपहास नहीं उड़ा सकते।
CJI- कोर्ट ने 11 अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष को मामले में जल्द फैसला देने का निर्देश दिया था। उसके बाद से मामले में क्या हुआ है, स्पीकर ने क्या किया है ? ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ भी नहीं हुआ है। अंत में पीठ ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। CJI ने कहा कि हम इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे।