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DELHI. देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति का फाइनल रिजल्ट 21 जुलाई को आना है। देश को दूसरी महिला राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) मिलना करीब-करीब तय है। 25 जुलाई 2022 को देश के नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे। यदि द्रौपदी मुर्मू जीतती हैं तो वे देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी। द्रौपदी पहली आदिवासी मूल की राष्ट्रपति होंगी। वे संथाल जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। बेहद गरीब और पिछड़े परिवार से आने वाली मुर्मू की जिंदगी में कई कठिनाईयां आईं। उन्होंने 5 साल के अंदर अपने दो जवान बेटों और पति को खो दिया। ये तो मुर्मू के संघर्ष की बातें हैं, लेकिन मुर्मू के इस खुशी के मौके में हम आपको उनके कुछ खूबसूरत दिनों में लिए चलते हैं। हम आपको द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे...
श्याम से भुवनेश्वर में हुई मुलाकात
द्रौपदी मुर्मू 1973 में आदिवासी आवासीय विद्यालय से स्कूली पढ़ाई पूरी कर ग्रेजुएशन के लिए भुवनेश्वर गईं। यहां उन्होंने रमा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो ग्रेजुएशन करने भुवनेश्वर तक पहुंची थीं। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही द्रौपदी की मुलाकात श्यामचरण मुर्मू से हुई। दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया। श्यामचरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।
शादी का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए श्याम
बात 1980 की है, जब द्रौपदी और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। दोनों सारी जिंदगी एकसाथ रहना चाहते थे और शादी करने का मन भी बना लिया था। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गांव में ही रहते थे। ऐसे में श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी के घर शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंच गए। बहुत कोशिशों के बाद भी द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते से मना कर दिया। श्याम चरण ने तय कर लिया था कि यदि वे शादी करेंगे तो द्रौपदी से ही करेंगे। द्रौपदी ने भी घर में साफ कह दिया था कि वे श्याम चरण से ही शादी करेंगी। श्याम ने 3 दिन तक द्रौपदी के गांव में ही डेरा डाल लिया। आखिरकार हारकर द्रौपदी के पिता ने इस रिश्ते को मंजूरी दे ही दी।
दहेज में गाय, बैल, 16 जोड़ी कपड़े और भोज में लाल-पीले मुर्गे का भोज
श्याम चरण और द्रौपदी की शादी तय हो गई थी। अब दोनों के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, वहां दहेज लड़के के परिवार देता है। इसी के चलते तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को 1 गाय, 1 बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों परिवार इस लेनदेन पर सहमत हो गए। कुछ दिन बाद श्याम चरण और द्रौपदी की शादी हो गई। ऐसा बताया जाता है कि द्रौपदी और श्याम की शादी में लाल-पीले देसी मुर्गे का भोज हुआ था।
घर को बनाया स्कूल
द्रौपदी मुर्मू का ससुराल पहाड़पुर गांव में है। यहां उन्होंने अपने घर को ही स्कूल में बदल दिया है। द्रौपदी ने अगस्त 2016 में अपने घर को स्कूल में बदल दिया था। इसका नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय है। हर साल द्रौपदी अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहीं आती हैं।
रुटीन कभी मिस नहीं करतीं मुर्मू
द्रौपदी मुर्मी कितनी भी बिजी क्यों न रहें वे ध्यान, सुबह की सैर और योग कभी नहीं छोड़ती हैं। हर रोज सुबह 3.30 बजे जाग जाती हैं। द्रौपदी अपने साथ हमेशा एक ट्रांसलाइट और शिव जी की एक पुस्तक रखती हैं। ताकि कहीं दूसरी जगह जाने-आने पर उनके ध्यान का क्रम न टूटे। वे अपने रुटीन को लेकर काफी स्ट्रिक्ट हैं।