नागपुर संघ मुख्यालय में भागवत बोले- जनसंख्या की समग्र नीति बने, सब पर लागू हो, नौकरी की बजाय स्टार्टअप बेहतर

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Atul Tiwari
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नागपुर संघ मुख्यालय में भागवत बोले- जनसंख्या की समग्र नीति बने, सब पर लागू हो, नौकरी की बजाय स्टार्टअप बेहतर

NAGPUR. महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में विजयादशमी पर्व पर बड़ा कार्यक्रम होती है। यहां शस्त्र पूजा और पथ संचलन होता है। कार्यक्रम में परंपरानुसार इस बार भी 5 अक्टूबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत शामिल हुए। भागवत ने कहा कि हम लगातार स्वाबलंबी होते चले जा रहे हैं। विदेश के मामलों में सशक्त हो रहे हैं। श्रीलंका को मदद देने के मामले में ये साबित हो गया। खेलों में भी भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पूर्व पर्वतारोही संतोष यादव भी बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में पहुंचीं। संघ के 97 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई हैं। इससे पहले पुरुष ही इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते आए हैं।





संघ प्रमुख के संबोधन की प्रमुख बातें





1. महिलाओं को सशक्त किया जाना जरूरी





इस बार संघ के कार्यक्रम पूर्व पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि बनाने को लेकर काफी चर्चा हुई थी। इस पर भागवत ने कहा कि 1934 में भी कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला ने की थी। दोनों (पुरुष और महिला) के बिना समाज नहीं बनता। ये चलता आ रहा है। मातृशक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती। जगत जननी के रूप में उनकी कल्पना करते हैं, लेकिन उनके दायरे को सीमित कर दिया गया। विदेशी आक्रमण के चलते महिलाओं पर बंधन लगाए गए। जब आक्रमण खत्म हो गए, लेकिन बंधन कायम रहे। महिलाओं को परिवार में बराबरी देते हुए सक्रिय भूमिका में लाना इसकी जरूरत है। जो काम महिला कर सकती है, पुरुष नहीं कर सकता। इसलिए महिलाओं का प्रबुद्ध और सशक्त होना जरूरी है। शुभ कार्य के लिए शक्ति जरूरी है।





2. जनसंख्या की अनदेखी नहीं की सकती, नौकरी की बजाय अपना काम करना बेहतर





रोजगार का मतलब नौकरी है और नौकरी के पीछे ही लोग भागेंगे और वह भी सरकारी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 10, 20, 30% नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है। इसके बाद हमें स्वयं कोशिश करनी पड़ेगी। इस दिशा में स्टार्टअप बढ़िया पहल है। 





जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सूडान से दक्षिण सूडान और सर्बिया से कोसोवो नाम से नए देश बन गए। गंभीर मंथन के बाद जनसंख्या नीति तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए। 





3. दुश्मनी बढ़ाने वालों के बहकावे में न आएं





समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ और द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतंत्र भारत में भी चल रहा है। ऐसे लोग अपने स्वार्थों के लिए हमारे हमदर्द बनकर आते हैं, उनके चंगुल में फंसना नहीं है। ऐसे लोगों के बहकावे में ना फंसते हुए, उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो, उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध और प्रतिकार करना चाहिए।





विख्यात पर्वतारोही रही हैं संतोष 





संतोष यादव भारत की पूर्व पर्वतारोही हैं। 10 अक्टूबर 1967 को जन्मीं संतोष हरियाणा के रेवाड़ी से आती हैं। वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर्वत पर दो बार चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला हैं। इसके अलावा वे कांगशुंग की तरफ से एवरेस्ट चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं। पहले उन्होंने मई 1992 और फिर मई सन् 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता हासिल की। सन 2000 में संतोष को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।





97 साल का हुआ संघ





1925 में दशहरे के दिन ही नागपुर में संघ की स्थापना हुई थी। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। इस दिन देश भर में संघ पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन करता है।



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