दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार घटत रहे हैं। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग (ECI News) ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला किया है। हालांकि, समीक्षा बैठक के बाद आयोग ने चुनाव रैलियों पर रोक को 11 फरवरी तक बढ़ा दिया है। इस दौरान आयोग ने अब एक हजार लोगों के साथ सभा करने की अनुमति दे दी है। 500 लोगों के साथ इनडोर मीटिंग की भी अनुमति दी गई है। इसके अलावा 20 लोग घर-घर जाकर (Door to Door Campaign) कर सकेंगे। चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात के बाद रैलियों पर बैन के संबंध में फैसला लिया।
चुनाव आयोग ने की समीक्षा बैठक : चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से वर्चुअल चुनाव प्रचार पर जोर देने की बात कही थी। ऐसे में कोरोना की स्थिति को लेकर आयोग नियमित तौर पर स्थिति की समीक्षा कर रहा है। आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोरोना वायरस का प्रसार भी न हो और राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित प्रारूप में प्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार का मौका भी दिया जा सके। आयोग ने इससे पहले कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण 22 जनवरी को रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया था। एक अधिकारी के मुताबिक इसमें सभी सुझावों पर गौर किया जाएगा। बैठक में संबंधित राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारी और स्वास्थ्य सचिव भी हिस्सा ले रहे हैं।
ये प्रतिबंध लगे थे : चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा के दौरान प्रत्यक्ष रैली और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया था। गत 22 जनवरी को हुई पिछली बैठक के दौरान आयोग ने पांचों राज्यों में प्रत्यक्ष रैली और रोड शो पर जारी प्रतिबंध को 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया था। हालांकि, अब जिन विधानसभा क्षेत्रों में पहले दो चरणों में मतदान होने हैं, वहां अधिकतम 500 लोगों की उपस्थिति में जनसभा करने की अनुमति दी थी, साथ ही घर-घर जाकर प्रचार के नियमों में छूट दी थी।
इन प्रदेशों में हैं चुनाव : गोवा, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से सात चरणों में होंगे। मतों की गिनती 10 मार्च को होगी। चुनाव आयोग ने 10 फरवरी सुबह 7 बजे से 7 मार्च शाम 6:30 बजे तक किसी भी तरह के एग्जिट पोल पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि इस दौरान न तो एग्जिट पोल प्रिंट मीडिया में छापा जाएगा और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसके प्रसारण की इजाजत होगी।