NEW DELHI. कांग्रेस पार्टी को 19 अक्टूबर को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सबकी नजरें जी-23 नेताओं पर टिकी हैं। बड़ा सवाल यही है कि क्या अध्यक्ष पद पर कांग्रेस में तीसरी बार मुकाबला होगा। पिछले तीन दशक में 2 बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। जानकारों के मुताबिक, अगर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं होते तो जी-23 का कोई नेता इस पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। खबरों के मुताबिक, शशि थरूर, मनीष तिवारी या पृथ्वीराज चव्हाण मैदान में कूद सकते हैं।
थरूर का लेख- निष्पक्ष चुनाव कराए कांग्रेस पार्टी
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। हालांकि, अभी उन्होंने इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है। थरूर ने इस पर कमेंट करने से भी इनकार कर दिया कि वह इस मुकाबले में शामिल होंगे या नहीं। उन्होंने मलयालम अखबार मातृभूमि में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने पार्टी से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील की है। यह भी लिखा कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की कई सीटों के लिए भी पार्टी को चुनाव का ऐलान करना चाहिए।
शशि थरूर भी उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक सुधारों की मांग की थी। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने ये भी कहा, पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव करना कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक शुरुआत है, जिसकी कांग्रेस को सख्त जरूरत है। मैं उम्मीद करता हूं कि चुनाव के लिए कई उम्मीदवार सामने आएंगे। पार्टी और देश के लिए अपने विचारों को सामने रखना जनहित के लिए होगा। पार्टी को पूरी तरह से पुनर्जीवित करने की जरूरत है, लेकिन नेतृत्व के जिस पद को तत्काल भरने की जरूरत है, वह स्वाभाविक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष का पद है।
ब्रिटेन का उदाहरण दिया
थरूर ने कहा कि चुनाव के कई फायदे भी हैं। 2019 में ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी में भी लीडरशिप का मुद्दा सामने आया था। 10 से ज्यादा उम्मीदवारों ने प्रधानमंत्री रहीं थेरेसा मे को बदलने के लिए चुनाव लड़ा था और बोरिस जॉनसन शीर्ष पर उभरे थे। मुझे उम्मीद है कि कई उम्मीदवार विचार के लिए खुद को पेश करने के लिए आगे आएंगे।
90 के दशक से दो बार हो चुका हैं कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव
1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने पर्चा भरा था, केसरी को जीत मिली। केसरी को 6224 वोट मिले तो पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे। दूसरी बार वोटिंग की नौबत 2000 में तब आई, जब सोनिया गांधी को कांग्रेस के भीतर से दिग्गज नेता जीतेंद्र प्रसाद से चुनौती मिली। सोनिया गांधी को जहां 7448 वोट मिले, प्रसाद को महज 94 वोट मिले थे।