दिल्ली. तीनों कृषि कानूनों (All three agricultural laws) के खिलाफ करीब एक साल पहले धरने पर बैठे किसान अब वापस अपने घर जा सकते हैं। केंद्र सरकार (central government) ने हाल ही में तीनों कानून वापस ले लिए। आज उन्हें एक मसौदा भेजा गया है, जिसमें उनकी कुछ मांगों को सरकार ने मंजूर कर लिया है। उनमें एमसपी गारंटी कानून (MSP guarantee law) और आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग प्रमुख थी। आज किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा, ''सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वे हमारी मांगों पर सहमत होंगे और हमें विरोध समाप्त कर देना चाहिए। लेकिन प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। हमें आशंका है, जिस पर कल दोपहर 2 बजे चर्चा होगी। हमारा आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है। यहीं रहेगा।''
कहां फंस रहा है पेंच?
- कहां तो लग रहा था कि मंगलवार की शाम ढलते ढलते किसानों का आंदोलन भी ढल जाएगा, लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा। अपनी मांग पर किसान डटे हुए हैं। बैठक के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "दोलन समाप्ति को लेकर हम कोई गारंटी नहीं दे रहे।"
डिमांड करना गुनाह है क्या?"
पराली, बिजली जैसे दूसरे मुद्दों पर भी कुछ हद तक बात बन गई है, कुछ पर बननी बाकी है। लेकिन इस बीच राकेश टिकैत ने सरकार से नई मांग रख दी है। राकेश टिकैत ने कहा, "किसानों को नया ट्रैक्टर मिले। इतनी बड़ी सरकार है इतना नहीं कर सकती। डिमांड करना गुनाह है क्या?" उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दिए हैं तो मोदी सरकार क्यों नहीं दे सकती।
मुआवजा की मांग
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एमएसपी से लेकर किसानों को मुआवजे तक के मुद्दों पर सरकार की तरफ सवाल उछाले तो दूसरी तरफ संसद में सरकार के सामने एक सूची पेश कर दी कि आंदोलन के दौरान कितने किसानों की जान गई। राहुल गांधी ने कहा, "सदन में कृषि मंत्री ने कहा कि उनके पास किसान आंदोलन में मारे गए किसानों का कोई डेटा नहीं है। हमने इसके बारे में पता लगाया। पंजाब की सरकार ने तकरीबन 400 किसानों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया है और 152 किसानों को रोजगार दिया है। ये लिस्ट मेरे पास है, जो मैं सदन के सामने रख रहा हूं।"
संसद के अंदर और संसद के बाहर किसानों का मुद्दा छाया हुआ है। सरकार भी वेट एंट वॉच के मूड में है। हालांकि कल संयुक्त किसान मोर्चा ने दोपहर 2 बजे फिर से बैठक बुलाई है। मुमकिन है कि उसमें कुछ अहम फैसला हो।