नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद (SC on Haridwar Dharmasansad) में भड़काऊ भाषण मामले में केंद्र सरकार (Modi Govt) और उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Govt) को नोटिस जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 10 दिन बाद करेगा, क्योंकि इस तरह के मामले पहले से पेंडिंग हैं।
पिटीशनर के वकील कपिल सिब्बल ने 23 जनवरी को अलीगढ़ में आयोजित होने वाली धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग की है। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए राज्य सरकार से कहें। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में धर्मसंसद आयोजित करने के खिलाफ स्थानीय प्राधिकरण (Local Authority) को रिप्रेजेंटेशन देने की अनुमति दी।
हरिद्वार धर्मसंसद पर इसलिए विवाद: उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्मसंसद में भड़काऊ भाषण का एक वीडियो सामने आने के बाद से बवाल हो गया। इस धर्मसंसद में एक वक्ता ने भाषण में कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने की जरूरत है। किसी भी हालत में देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री न बने। मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक लगानी होगी।
32 पूर्व अधिकारियों ने लिखा था ओपन लेटर: हरिद्वार में भड़काऊ भाषणों के मामले में पूर्व आर्मी चीफ्स समेत कई मशहूर लोगों ने एक्शन की मांग की थी। इसके एक दिन बाद भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 32 पूर्व अफसरों ने खुला पत्र (Open Letter) लिखा था। अफसरों ने कहा था कि किसी भी तरह की हिंसा के आह्वान की निंदा करते समय धर्म, जाति, क्षेत्र या वैचारिक मूल का लिहाज नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी निंदा सभी के लिए होनी चाहिए, ना कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए।