NEW DELHI. देशभर में नफरत भरे भाषण के बाद मॉब लिंचिंग और हिंसक भीड़ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कदम उठाने की रिपोर्ट मांगी थी। मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार (20 नवंबर) को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए बताया है कि 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। ये अफसर देशभर में नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ संज्ञान लेने और एफआईआर दर्ज कराने का काम करेंगे। मालूम हो, सर्वोच्च अदालत नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
मप्र समेत इन राज्यों में नियुक्त किए नोडल अधिकारी
केंद्र सरकार ने रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बताया, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, सिक्किम, लद्दाख, जम्मू व कश्मीर, लक्षद्वीप, अंडमान व निकोबार और पुड्डुचेरी में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिए थे दिशा-निर्देश
अदालत ने अपने 25 अगस्त, 2023 के आदेश में राज्यों से इस संबंध में जवाब मांगते हुए 2018 के दिशा-निर्देशों का पालन करने के संबंध में अपनी स्थिति रिपोर्ट देने को कहा था। इन दिशा-निर्देशों में जिला स्तर पर राज्यों को नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी। इन दिशा-निर्देशों में फास्ट ट्रैक सुनवाई, पीड़ित को मुआवजा, दोषी को कड़ी सजा या अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को भी कहा गया है।
107 सांसदों और विधायकों पर दर्ज हैं नफरती भाषण के मामले
देश के कुल 107 सांसदों और विधायकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में केस दर्ज हैं। पिछले पांच वर्षों में ऐसे मामलों का सामना कर रहे 480 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है। 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आ चुकी है। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने सभी मौजूदा सांसदों और विधायकों के अलावा पिछले पांच वर्षों में देश में हुए चुनावों में असफल उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया है।
सबसे ज्यादा सांसद उत्तर प्रदेश के, मप्र से दो के नाम
एडीआर के विश्लेषण से पता चलता है कि कई मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने खिलाफ ‘नफरती भाषण’ से संबंधित मामलों की घोषणा की है। यह विश्लेषण सांसदों और विधायकों द्वारा पिछला चुनाव लड़ने से पहले दिए गए हलफनामों पर आधारित था। 33 सांसदों ने अपने खिलाफ नफरती भाषण से संबंधित मामलों की घोषणा की थी, जिनमें से सात उत्तर प्रदेश से, चार तमिलनाडु से, तीन-तीन बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना से जबकि दो-दो असम, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से तथा एक-एक झारखंड, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा और पंजाब से हैं।
नफरत फैलाने के मामले में सबसे ज्यादा बीजेपी सांसद
एडीआर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 480 उम्मीदवारों ने राज्य विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा का चुनाव लड़ा है। इसमें कहा गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित मामलों वाले 22 सांसद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से, दो कांग्रेस से और एक-एक आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, एआईयूडीएफ, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, पीएमके, शिवसेना (यूबीटी) और वीसीके से हैं जबकि एक निर्दलीय सांसद पर भी नफरती भाषण का मामला दर्ज है।
मप्र के एक विधायक समेत देशभर के 74 विधायकों पर केस
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 74 विधायकों ने अपने खिलाफ नफरती भाषण से संबंधित मामलों की घोषणा की थी। इनमें बिहार और उप्र से नौ-नौ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से छह-छह, असम और तमिलनाडु से पांच-पांच, दिल्ली, गुजरात और पश्चिम बंगाल से चार-चार, झारखंड और उत्तराखंड से तीन-तीन, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और त्रिपुरा से दो-दो जबकि मध्य प्रदेश और ओडिशा से एक-एक विधायक शामिल हैं।