भोपाल. मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण (mp panchayat election obc reservation) का मामला फिर लटक गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अर्जेंट हियरिंग (Urgent hearing) के लिए लगी याचिका की सुनवाई करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये अर्जेंट हियरिंग का मैटर नहीं है। अब इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को होगी। केंद्र सरकार की तरफ सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने बताया कि OBC आरक्षण के लिए सभी राज्यों से ट्रिपल टेस्ट (Tripple test) अनिवार्य करने की बात कह रहे हैं।
ये होता है ट्रिपल टेस्ट: राज्य में लोकल बॉडी में पिछड़ेपन की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना करना। ये आयोग बताएगा कि लोकल बॉडी में आरक्षण का अनुपात क्या रहेगा। इससे कम ज्यादा का भ्रम नहीं होगा। किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण SC/ST/OBC वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
कांग्रेस ने लगाया BJP पर आरोप: कांग्रेस नेता सैय्यद जफर (Sayyed zafar) ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि हम देश के सभी राज्यों से OBC आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य करने की बात कह रहे हैं। केंद्र सरकार के इस तर्क से यह साबित होता है कि मध्य प्रदेश की सरकार ने OBC आरक्षण देने के लिए संवैधानिक कार्रवाई पूरी नहीं की। इस वजह से मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण समाप्त हुआ। अभी भी वक्त है प्रदेश सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी औपचारिकताओं को पूरा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार: 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर दिया गया था। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि आग से मत खेलिए। कानून के दायरे में रहकर चुनाव करवाइए। दरअसल, ओबीसी आरक्षण वोट बैंक के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए दोनों पार्टियां लगातार इसके पक्ष में तर्क दे रही हैं।