कुन्नूर में Mi-17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश (Helicopter Crash) हुआ। इस हादसे में 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (Bipin Rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोग सवार थे। सेना ने जरनल रावत और उनकी पत्नी के निधन की जानकारी दी है। वायुसेना का यह हेलिकॉप्टर आधुनिक तकनीकों से लैस होता है। रूस (Russia) इसका निर्माण करता है। 250 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाला ये हेलिकॉप्टर 6 हजार मीटर की ऊंची पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में भी उड़ान भरने में सक्षम है। आइए जानते हैं इस हेलिकॉप्टर की खूबियां....
इमरजेंसी की जरूरतों से लैस
इस हेलिकॉप्टर का बड़ा केबिन खास है। इसमें पोर्टसाइड दरवाजा और पीछे की तरफ जाने वाला रैंप सैनिकों और कार्गो के प्रवेश और निकास को आसान बना देता है। हेलिकॉप्टर में एक विस्तारित स्टारबोर्ड स्लाइडिंग डोर, रैपलिंग और पैराशूट उपकरण, सर्चलाइट, FLIR सिस्टम और इमरजेंसी की जरूरतों से लैस है। इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 13 हजार किलोग्राम है। यह 36 सशस्त्र सैनिकों को एक साथ या एक गोफन पर 4,500 किलोग्राम भार ले जा सकता है।
हेलिकॉप्टर की विशेषताएं
Mi-17V-5 मीडियम-लिफ्टर को Mi-8 एयरफ्रेम के आधार पर डिजाइन किया गया था। इस हेलिकॉप्टर ने अपने पुराने मॉडल के बेहतरीन प्रदर्शन और विशेषताओं को बरकरार रखा। एक बार ईंधन भरने के बाद यह 580 किमी. की दूरी तय कर सकता है। यह समुद्री जलवायु के साथ-साथ रेगिस्तानी इलाकों में भी उड़ान भरने में सक्षम होता है।
दुश्मन से लड़ने में सक्षम
हेलिकॉप्टर में शट्रूम मिसाइल, एस-8 रॉकेट, एक 23mm मशीन गन, पीकेटी मशीन गन और एकेएम सब-मशीन गन से लैस है। इसमें हथियारों को निशाना बनाने के लिए आठ फायरिंग पोस्ट हैं। इससे आसानी से दुश्मनों, बख्तरबंद वाहनों, भूमि-आधारित टारगेट, चलते फिरते टारगेट को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। इसका कॉकपिट और महत्वपूर्ण अंग बख्तरबंद प्लेटों से ढकें हैं। गनर की सुरक्षा के लिए पिछली मशीन गन के एरिया को भी बख़्तरबंद प्लेटों से सुरक्षित किया गया है।
हेलिकॉप्टर की कीम
इस हेलिकॉप्टर का निर्माण रूस ने किया था। डिफेंस मिनिस्ट्री ने साल 2008 में ऐसे 80 हेलिकॉप्टर के लिए 130 करोड़ डॉलर की डील की थी। यानि एक हेलिकॉप्टर की डील वैल्यू उस समय 76 करोड़ रुपए के करीब पड़ी थी। डील में हेलिकॉप्टर के साथ कई अन्य सेवाएं और तकनीकें भी शामिल थी। इंडियन एयरफोर्स को 2013 तक 36 विमान मिल चुके थे।
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