बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रविवार यानी 27 फरवरी को छुट्टी के दिन एक त्वरित याचिका की सुनवाई की। ये याचिका आजतक में जर्नलिस्ट रहे सुनील नामदेव की पत्नी मनमीत कौर ने दाखिल की थी। याचिका में उल्लेखित है कि NRDA जिस नोटिस को हाईकोर्ट में बीते 19 अगस्त को वापस ले चुकी है, उसी नोटिस के हवाले पर याचिकाकर्ता का घर तोड़ा जा रहा है। करीब बीस हजार स्क्वायर फीट की भूमि के एक हिस्से पर बने निर्माण के एक हिस्से को तोड़ा जा चुका है। आज उसका दूसरा हिस्सा तोड़ा जा रहा था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले की त्वरित सुनवाई कर अगली तारीख तक मकान तोड़े जाने पर स्टे दे दिया है।
ये है पूरा मामला: करीब साढ़े ग्यारह बजे इस याचिका पर सुनवाई हुई। एडवोकेट ने हाईकोर्ट को बताया कि ग्राम पंचायत नखटी और बनारसी के जमीन पर हुए निर्माण का मामला है। NRDA ने इस जमीन पर मौजूद निर्माण को बगैर अनुमति का बताते हुए तोड़ने का नोटिस दे दिया था। जबकि मकान NRDA के अस्तित्व में आने के पहले से मौजूद है। इस नोटिस के खिलाफ जब पूर्व में याचिका दायर हुई तो NRDA ने कोर्ट से कहा कि वे नोटिस वापस ले रहे हैं। लेकिन 19 फरवरी को उसी नोटिस के हवाले से फिर नोटिस भेजा गया। ये नोटिस याचिकाकर्ता को 22 फरवरी को मिला। इस बीच 20 फरवरी को मकान में तोड़ फोड़ की गई। इसके बाद अगला नोटिस 25 फरवरी को मिला, इसमें तोड़फोड़ की तारीख 27 फरवरी तय है। एडवोकेट ने दलील दी कि जिस नोटिस को NRDA हाईकोर्ट में वापस ले चुका है। उसी नोटिस के आधार पर कोई कार्यवाही कैसे हो सकती है। इस याचिका की सुनवाई जस्टिस नरेश चंद्रवंशी ने की। अदालत ने आगामी सुनवाई की तारीख तक किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट आशुतोष पांडेय, ए श्रीधर और वैभव शुक्ला ने पक्ष रखा।
कौन है सुनील नामदेव?: सुनील छत्तीसगढ में सक्रिय पत्रकार रहे हैं। उन्होंने लंबे समय तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम किया। पिछले 15 साल रमन सरकार के दौरान सुनील काफी प्रभावी माने जाते थे। लेकिन तीन साल पुरानी भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार से उनकी असहजता तब सुर्खियों में आई। जब सुनील नामदेव पर पुलिसकर्मी से जातिगत गालीगलौज, शासकीय कार्य में बाधा समेत रेस्टोरेंट संचालक को धमकाने का मामला दर्ज किया। सुनील काफी समय तक केंद्रीय जेल में रहे। फिलहाल सुनील जमानत पर बाहर है। इसी दौरान सुनील का घर ढहाने का मामला सामने आया है।