इंडिया गेट पर बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण, PM ने आपने भाषण में ये कहा

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इंडिया गेट पर बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण, PM ने आपने भाषण में ये कहा

दिल्ली. पीएम मोदी (PM Modi) ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था। पीएम मोदी ने प्रतिमा के अनावरण के बाद कहा कि भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर पूरे देश की तरफ से मैं आज उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं। ये दिन ऐतिहासिक है, ये कालखंड भी ऐतिहासिक है। ये स्थान जहां हम सब मौजूद हैं, ये भी ऐतिहासिक है। पीएम मोदी ने कहा कि नेशनल वॉर मेमोरियल भी यहां से पास है। उन्होंने कहा कि आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस मौके पर हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजिल दे रहे हैं।



होलोग्राम की जगह ग्रेनाइट की प्रतिमा लेगी : पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी, जिन्होंने हमें स्वाधीन और समप्रभु भारत का विश्वास दिलाया था, जिन्होंने बड़े गर्व, आत्मविश्वास और साहस के साथ अंग्रेजों के सामने कहा था कि मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा, मैं इसे हासिल करूंगा। जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार का स्थापित किया, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट पर स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम की जगह ग्रेनाइट की प्रतिमा लेगी। ये प्रतिमा आजादी के महानायक को कृतज्ञ राष्ट्र की श्रद्धांजलि है। नेताजी सुभाष की ये प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को, हमारी पीढ़ियों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराएगी। आने वाली और वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी।



पराक्रम दिवस : पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल देश ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। आज इस अवसर पर सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए गए हैं। नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर ही इन पुरस्कारों को देने की घोषणा की गई थी। पीएम मोदी ने कहा कि हमने Relief, Rescue और Rehabilitation पर जोर देने के साथ ही Reform पर भी बल दिया है। हमने NDRF को मजबूत किया, उसका आधुनिकीकरण किया, देश भर में उसका विस्तार किया। टेक्नोलॉजी से लेकर प्लानिंग और मैनेजमेंट तक, best possible practices को अपनाया गया।



डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए Joint ड्रिल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले पहले एक-एक साइक्लोन में सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन पिछले दिनों आए साइक्लोन में ऐसा नहीं हुआ। देश ने हर चुनौती का जवाब एक नई ताकत से दिया। इन आपदाओं में हम ज्यादा से ज्यादा जीवन बचाने में सफल रहे। जिन क्षेत्रों में भूकंप, बाढ़ या साइक्लोन का खतरा ज्यादा रहता है, वहां पर पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घरों में भी आपदा प्रबंधन का ध्यान रखा जाता है। उत्तराखंड में चारधाम महा परियोजना में भी आपदा प्रबंधन का ध्यान रखा गया है। दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच में, सेनाओं के बीच में हमने Joint Military Exercise बहुत देखी है, लेकिन भारत ने पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए Joint ड्रिल की परंपरा शुरू की है। 



नेताजी को देश पर विश्वास था : पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो नए एक्सप्रेस वे बन रहे हैं, उनमें भी आपदा प्रबंधन से जुड़ी बारीकियों को प्राथमिकता दी गई है। आपात स्थिति में ये एक्सप्रेस वे विमान उतरने के काम आ सकें, इसका भी प्रावधान किया गया है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है नेताजी को देश पर विश्वास था, उनके ही भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई भी ताकत नहीं है जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके। आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा।



देश गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा : प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी, लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं। लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है। ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले वर्ष, आज के ही दिन मुझे कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास भी जाने का अवसर मिला था। जिस कार से वो कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है।



नेताजी की स्पिरिट से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है : पीएम मोदी ये भी बोले कि मैं 21 अक्टूबर 2018 का वो दिन भी नहीं भूल सकता जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे। लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की कैप पहनकर तिरंगा फहराया था। वो पल अद्भुत है, अविस्मरणीय है. नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी। हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।

 


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