DELHI:कभी शिक्षक थे,बाद में दो बार निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए,एक चीफ जस्टिस वाइस प्रेसिडेंट बने,कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे

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Atul Tiwari
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DELHI:कभी शिक्षक थे,बाद में दो बार निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए,एक चीफ जस्टिस वाइस प्रेसिडेंट बने,कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे

NEW DELHI: देश के नए उपराष्ट्रपति (Vice President) का आज यानी 6 अगस्त को फैसला हो जाएगा। एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जीत तय cev है। उनकी प्रतिद्वंद्वी मार्गरेट अल्वा काफी पीछे रह सकती हैं। जानिए, 1952 से लेकर अब तक देश में कब-कब ऐसा हुआ जब कोई उम्मीदवार निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुना गया...



जब पहली बार ही निर्विरोध चुने गए उपराष्ट्रपति



ये 1952 की बात है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 21 अप्रैल 1952 तक नामांकन मांगे गए थे। इसमें दो प्रत्याशियों ने नामांकन भरा था। पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे और दूसरे शेख खादिर हुसैन। नामांकन पत्रों की जांच के बाद शेख खादिर का नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर ने निरस्त कर दिया। इसके बाद केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचे, जिन्हें निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुन लिया गया। 



1957 में लगातार दूसरी बार डॉ. राधाकृष्णन निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए। तब उनके खिलाफ किसी ने नामांकन नहीं किया था। इसके बाद 1962 में वह देश के दूसरे राष्ट्रपति चुने गए।



उपराष्ट्रपति और कार्यवाहक राष्ट्रपति बने



बात 1979 की है। तब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे मोहम्मद हिदायतुल्लाह ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन किया। हिदायतुल्लाह के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा हुआ और वह निर्विरोध उपराष्ट्रपति बन गए। हिदायतुल्लाह पहले ऐसे शख्स हैं, जो देश के तीन बड़े संवैधानिक पदों पर रहे। 



1968 में वे चीफ जस्टिस रहे। 1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का निधन हो गया। हुसैन के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। जब राष्ट्रपति चुनाव का एलान हुआ तो गिरि राष्ट्रपति उम्मीदवार बने। इसके लिए उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। गिरि के इस्तीफे के बाद प्रोटोकॉल के मुताबिक, चीफ जस्टिस हिदायतुल्लाह को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। वो 35 दिन इस पद पर रहे। 10 साल बाद 1979 में वो देश के उपराष्ट्रपति बने। 



जब 26 प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हो गया



1987 का उपराष्ट्रपति चुनाव भी काफी इंटरेस्टिंग था। तब कुल 27 उम्मीदवारों ने नॉमिनेशन भरा था, लेकिन 26 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया। रिटर्निंग ऑफिसर ने सिर्फ डॉ. शंकर दयाल शर्मा के नामांकन को ही वैध बताया था। नाम वापसी की अंतिम तिथि खत्म होने के बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा को निर्विरोध पराष्ट्रपति चुना गया था



डॉ. शर्मा ने तीन सितंबर, 1987 को उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। 1987 में मतदाताओं की कुल संख्या 790 थी। इसके अलावा, उन्होंने महाराष्ट्र, पंजाब और आंध्र प्रदेश के गवर्नर के तौर पर भी कार्य किया। बाद में डॉ. शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति भी बने। वेंकटरमण के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे राष्ट्रपति रहे, जिन्होंने 4 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया।



क्या काम करते हैं उपराष्ट्रपति, ये शक्तियां मिली हैं? 




  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। राज्यसभा के संचालन की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। यह अमेरिकी उपराष्ट्रपति के समान है, जो सीनेट के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं। 


  • राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही उनके सारे कामकाज संभालते हैं। 

  • उपराष्ट्रपति अधिकतम 6 महीने तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस बीच नए राष्ट्रपति का निर्वाचन कराना अनिवार्य होता है।


  • भारत निर्विरोध डॉ. शंकर दयाल शर्मा मोहम्मद हिदायतुल्लाह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन unopposed Dr Shankar Dayal Sharma India Mohammed Hidaytullah Dr S Radhakrishnan उपराष्ट्रपति Vice President