NEW DELHI. जी-20 की 18वीं समिट 9 और 10 सितंबर को देश की राजधानी दिल्ली में होने जा रही है। इस साल भारत पहली बार जी-20 की मेजबानी करने जा रहा है। इसके लिए काफी जोर-शोर से तैयारियां की गई हैं। ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा मौका है। जी-20 के सदस्य देशों में भारत के अलावा फ्रांस, चीन, कनाडा, ब्राजील, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, अमेरिका, यूके, तुर्की, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, रूस, मैक्सिको, जापान, इटली, इंडोनेशिया तथा 20वें सदस्य के तौर पर यूरोपीय संघ शामिल है। जी-20 की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक वैश्विक व्यापार में भी ये संगठन 80 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है और करीब 2 तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
1999 में हुई थी जी-20 की स्थापना
जी-20 समूह दुनिया के 20 सबसे ताकतवर देशों का समूह है। इस समूह की स्थापना साल 1999 में की गई थी। उस वक्त आर्थिक संकट से निपटने के लिए दुनिया के बड़े-बड़े देशों के वित्त मंत्री सहित सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने एक साथ मिलकर इस समूह का गठन किया, जो आर्थिक मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकें।
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच
जी-20 समूह का गठन भले ही साल 1999 में किया गया, लेकिन अगले 8 साल के बाद यानी साल 2007 में आए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर इस समूह में देश के प्रमुखों को भी शामिल कर लिया गया। इसके 2 साल बाद यानी साल 2009 में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच घोषित कर दिया गया। हालांकि, बाद में इस समूह ने अपने एजेंडे का विस्तार करते हुए अन्य जरूरी मुद्दों को भी शामिल करना शुरू कर दिया, जिसमें व्यापार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार विरोधी को भी शामिल किया है।
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कैसे काम करता है जी-20 समूह
जी-20 की अध्यक्षता किसी भी देश को 1 साल के लिए दी जाती है। इस मौके पर जी-20 की अध्यक्षता करने वाले देश के साथ मिलकर अन्य देश के प्रमुख विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जिसमें आर्थिक पक्ष से लेकर अंतरराष्ट्रीय विषय तक शामिल होता है। इसमें 2 समानांतर ग्रुप (ट्रैक) शामिल होते हैं। एक होता है फाइनेंस ग्रुप (ट्रैक) और दूसरा शेरपा ग्रुप (ट्रैक)। वित्त ग्रुप (ट्रैक) का नेतृत्व जी-20 समूह में शामिल देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर करते हैं। वहीं शेरपा ग्रुप (ट्रैक) का नेतृत्व जी-20 प्रक्रिया में शामिल समन्वय सदस्य देशों के शेरपाओं की तरफ से किया जाता है, जो नेताओं के निजी दूत होते हैं। इनमें एक एंगेजमेंट समूह भी शामिल होते हैं, जो जी-20 देशों के नागरिक समाजों, सांसदों, थिंक टैंकों, महिलाओं, युवाओं, श्रमिकों, व्यवसायों और शोधकतार्ओं को एक साथ लाते हैं और उनके तरफ से पेश किए गए बातों को सम्मेलन में रखते हैं।
जी-20 समूह के पास कोई स्थायी सचिवालय नहीं
आपको बता दें कि जी-20 समूह के पास कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। किसी भी देश को प्रेसीडेंसी दिलाने के लिए ट्रोइका का समर्थन प्राप्त करना जरूरी होता है। हर ट्रोइका में 3 देश को शामिल किया जाता है, जिसमें पिछली, मौजूदा समय और आने वाली प्रेसीडेंसी देश शामिल होती है। उदाहरण के तौर पर भारत की अध्यक्षता के दौरान ट्रोइका में इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील शामिल होंगे| यानी अगले साल जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील करेगा।
कितने देश शामिल हैं
1. अर्जेंटीना
2. ऑस्ट्रेलिया
3. ब्राजील
4. कनाडा
5. चीन
6. फ्रांस
7. जर्मनी
8. भारत
9. इंडोनेशिया
10. इटली
11. जापान
12. रिपब्लिक ऑफ कोरिया
13. मैक्सिको
14. रूस
15. सऊदी अरब
16. दक्षिण अफ्रीका
17. तुर्किए
18. यूनाइटेड किंगडम
19. अमेरिका
20. यूरोपियन यूनियन (यूरोप के देशों का मजबूत समूह)
कैसे बना ये संगठन
अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान और ब्रिटेन देशों का एक जी-7 ग्रुप था। इसी ग्रुप का विस्तार जी -20 को माना जाता है। साल 1998 में इस ग्रुप में रूस भी जुड़ गया और 1999 में जी-8 देशों की बैठक के दौरान एशिया के आर्थिक हालातों की चर्चा की गई। इस चर्चा में 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को साथ में लाने की बात कही गई और उसी साल बर्लिन में एक बैठक का आयोजन हुआ जिसमें जी-20 की बात उठी| 2007 में विश्वव्यापी आर्थिक और वित्तीय संकट के बाद जी-20 फोरम को राष्ट्रप्रमुखों के स्तर का बना दिया गया। समूह का पहला शिखर सम्मेलन 2008 में वॉशिंगटन डीसी में हुआ था। इसके बाद इसकी अहमियत को समझते हुए हर साल इसकी बैठक की जाने लगी।
हर साल अलग देश करता है अध्यक्षता
जी-20 की बैठक की अध्यक्षता हर साल अलग देश करता है। पिछले साल ये बैठक इंडोनेशिया में हुई थी। उसके बाद इंडोनेशिया ने इस अध्यक्षता को भारत को सौंप दिया। इस साल भारत इस समूह की मेजबानी कर रहा है। इसके बाद वो ब्राजील को ये जिम्मा सौंपेगा और अगले साल ये बैठक ब्राजील में आयोजित होगी।
क्या है जी-20 का एजेंडा
जी-20 का मूल एजेंडा आर्थिक सहयोग और वित्तीय स्थिरता का है, लेकिन समय के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, स्वास्थ्य, कृषि और भ्रष्टाचार निरोधी एजेंडा भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इसमें 2 समानांतर तरीकों से चर्चा होती है, पहला फाइनेंशियल और दूसरा शेरपा ट्रैक। फाइनेंशियल ट्रैक में बातचीत का काम वित्त मंत्री संभालते हैं और शेरपा ट्रैक में शेरपा यानी वो व्यक्ति जिसे सरकार शेरपा के तौर पर नियुक्त करती है. चूंकि दुनिया की जीडीपी में 85 फीसदी हिस्सा जी-20 देशों का है। वहीं दुनिया के व्यापार में 75 फीसदी की हिस्सेदारी भी इन्हीं की है, ऐसे में इनकी बैठक को काफी अहम माना जाता है। इनका काम सभी सदस्य देशों के साथ समन्वय बनाना और नेगोशिएट करना होता है।
कई अन्य देशों और संगठनों को भी किया जाता है आमंत्रित
जी-20 की बैठक में इसके 20 सदस्य देशों के अलावा भी अन्य देशों को भी आमंत्रित किया जाता है। भारत ने इस साल 9 देशों को आमंत्रित किया है। ये देश हैं बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई। इसके अलावा यूनाइटेड नेशंस, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड, वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन जैसे संगठन जी-20 में नियमित रूप से आमंत्रित किए जाते हैं।
इन देशों को भी मिला है निमंत्रण
इसके अलावा, भारत ने बांग्लादेश, नीदरलैंड, मिस्र, मॉरीशस, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को निमंत्रण दिया है, जो बाद में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
जी-20 की थीम क्या है ?
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को बनाने वाले 3 रंग- भगवा, सफेद और हरा जी-20 की थीम के आधार के रूप में काम करते हैं। जी-20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में भारत शब्द है। वसुधैव कुटुंबकम, या एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य, जी-20 की थीम है।
भारत को क्या-क्या मिलने वाला है
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यव्स्थाओं के समूह जी-20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है। इस अहम बैठक के लिए सरकार की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और इसका आयोजन 9-10 सितंबर 2023 को राजधानी दिल्ली में भारत की मेजबानी में होने वाला है। ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सदस्य देशों से व्यापार संबंध होंगे मजबूत
ग्लोबल इकोनॉमी में जी-20 समूह की हिस्सेदारी के इन आंकड़ों को देखकर इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसकी अध्यक्षता करने से भारत को ग्रुप के सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को और भी मजबूत करने में मदद मिलेगी। अगर एक्सपर्ट्स की मानें तो उनकी राय में भविष्य की ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और समृद्धि को हासिल करने में जी-20 की एक रणनीतिक भूमिका है। इसमें शामिल देशों से भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छा-खासा इन्वेस्टमेंट आ रहा है, जिसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है। जी-20 की अध्यक्षता करने से भारत को वैश्विक मंच पर प्रमुख खिलाड़ी बनने का मौका मिल रहा है।
स्टार्टअप ईको सिस्टम के लिए अहम
भारत जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय में कर रहा है, जबकि देश दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है और सभी देश इसे लेकर उत्साहित हैं। जी-20 के जरिए होने वाले अन्य लाभों की बात करें तो केंद्र ने अपनी तरह की पहली पहल करते हुए स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना की है, जो विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को एक साझा मंच पर एक साथ लाकर वैश्विक स्टार्ट-अप ईको सिस्टम की आवाज के रूप में कार्य कर रहा है। इसके जरिए सदस्य देशों द्वारा क्षमता निर्माण, फंडिंग गैप को कम करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने और समावेशी ईको सिस्टम में ग्रोथ जैसे सेक्टर्स के लिए ठोस कदम उठाएंगे।
निवेश को आकर्षित करने में मिलेगी मदद
वसुधैव कुटुंबकम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की थीम पर होने वाली इस जी-20 बैठक की अध्यक्षता करना भारत के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं है। इसका कारण है कि इसके जरिए दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी के तौर पर उभरा भारत और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी क्षमता और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकता है। इसके साथ ही ऐसी उम्मीद भी जताई जा रही है कि राजधानी दिल्ली में होने वाली इस बैठक में देश के छोटे कारोबारिया या एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने से जुड़े कई ऐलान भी किए जा सकते हैं।
मेडिकल डिवाइस सेक्टर का ये सुझाव
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम को-आर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है कि मेडिकल डिवाइस हेल्थकेयर सर्विसेज के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन तक पहुंच में आसानी के लिए ये जरूरी है कि जी-20 के सदस्य देशों के बीच पारस्परिक मान्यता समझौतों के साथ इनके लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों को सुसंगत बनाया जाए। जैसा कि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए कोविड महामारी के समय में लॉकडाउन में देखा गया। फास्ट ट्रैक रेग्युलेटरी अप्रूवल्स के लिए सक्षम तंत्र के रूप में क्वालिटी मैनेजमेंट सर्टिफिकेट, जो विभिन्न देशों में कई मल्टीपल रेग्युलेटरी अप्रूवल से बचकर निमार्ताओं को व्यापार करने में आसानी प्रदान करते हुए आयात करने वाले देशों के नियामकों को विश्वास दिलाएगा। चिकित्सा उपकरण विशिष्ट कानून, एकल राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण के तहत रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क, ऐसे बिंदु हैं जिसे जी-20 हेल्थकेयर एजेंडा के लिए सुझाया जा सकता है।
2008 में हुआ था पहला शिखर सम्मेलन
जी-20 का शिखर सम्मेलन दरअसल, दुनिया के प्रमुख आर्थिक देशों के नेताओं का एक वार्षिक सम्मेलन होता है, जिसमें सदस्य देश ग्लोबल इकोनॉमी, फाइनेंस, बिजनेस, इन्वेस्टमेंट, जलवायु परिवर्तन समेत अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इन सब पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद सम्मेलन से वैश्विक स्तर पर लिए जाने वाले फैसलों से इकोनॉमी में स्थिरता और समृद्धि में मदद मिलती है। गौरतलब है कि इसकी पहली बैठक का आयोजन साल 2008 में अमेरिका के शिकागो में किया गया था।
कार्यक्रम के दौरान 160 उड़ानें रद्द रहेंगी
दुनिया के प्रमुख स्थापित और उभरते देशों के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन G-20 विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए भारत में विश्व नेताओं की सबसे बड़ी बैठकों में से एक होने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले वीवीआईपी लोगों ने दिल्ली और गुरुग्राम के होटलों में 3,500 से ज्यादा कमरे आरक्षित किए हैं। कार्यक्रम के चलते लगभग 160 उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।
इन होटलों में ठहरने की है व्यवस्था
दिल्ली में अशोका, ताज पैलेस, आईटीसी मौर्य, शांगरी-ला, ले मेरिडियन, द ललित, द लीला, इम्पीरियल और ओबेरॉय होटल कुछ बेहतरीन 5 स्टार होटल हैं।
ऐसा वेलकम...वाह जी वाह!
इसे लेकर एक तरफ तो राजधानी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इन दो दिनों तक लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसका ध्यान रखा गया है और यातायात की सुचारू व्यवस्था भी की गई है। जी-20 शिखर सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों के रहने की व्यवस्था दिल्ली के 5 स्टार होटलों में की गई है जहां उनके रहने और खाने की पूरी व्यवस्था की गई है। खाने में भारतीय मेन्यू को खास तौर पर शामिल किया गया है।
सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों के लिए खास व्यवस्था
बैंक खाते की आवश्यकता के बिना भी विदेशी प्रतिनिधि भारत में अपने पैसे निकाल सकेंगे। प्रतिनिधियों के लिए यूपीआई सेवा, रुपे भुगतान जो स्मार्टवॉच, भारत के डिजिटल रुपए और एक डेटाबेस प्लेटफॉर्म जैसे सहायक उपकरण के माध्यम से किया जा सकता है जिसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए धन उधार देने के लिए किया जा सकता है। ये भारत की डिजिटल जनता के उपकरण हैं।
वैश्विक तौर पर खुद को अलग साबित करने का मौका
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से अपने तकनीकी प्लेटफॉर्म का प्रदर्शन करना चाहते हैं ताकि हम वैश्विक तौर पर खुद को अलग साबित कर सकें, लेकिन हम ये भी चाहते हैं कि विकसित देश भी उन पर नजर डालें। हम उन प्लेटफार्म को प्रदर्शित करना चाहते हैं जो हमने भारत के पैमाने के देश के लिए बनाए हैं।
सिड्डू और खीर घोलेंगे रिश्तों में मिठास
जी-20 शिखर सम्मेलन में आने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय जायकों और मिठाई का स्वाद भी चखने को मिलेगा। विदेशी मेहमानों की थाली में कम मिर्च, मसाले और घी वाले भारतीय व्यंजनों को शामिल किया जाएगा। भारतीय जायकों के बाद उन्हें रिश्तों में मिठास घोलती भारतीय प्रसिद्ध मिठाई भी पेश की जाएगी। इसमें बंगाल का रसगुल्ला, मीठी दही, हिमाचली सिड्डू, बनारसी खीर कदम, मलाई पान, जलेबी, खीर के अलावा पान, गुलाब और रबड़ी की आइसक्रीम भी परोसी जाएगी।
सभी प्रांतों के व्यंजन परोसे जाएंगे
दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले राष्ट्राध्यक्षों, विशेष अतिथियों के अलावा प्रतिनिधिमंडल समेत उनके परिवार को भारतीय व्यंजनों से भी रूबरू करवाने की योजना है। इसमें भारत के लगभग सभी प्रांतों के व्यंजनों को शामिल किया गया है। इसके अलावा विभिन्न प्रांतों की मिठाई भी शामिल हैं। इसके लिए बाकायदा आईटीसी मौर्य समेत अन्य होटलों में रसोइयों को खास प्रशिक्षण भी दिया गया है। इसका मकसद विदेशी मेहमानों के खाने में मिर्च, मसाले, तेल की मात्रा कम रखना था।
मिठाई में प्राकृतिक मिठास
मिठाई में चीनी के बजाय प्राकृतिक चीनी वाले आइटम से मिठाई में मिठास घोली गई है। इस मैन्यू के माध्यम से दुनिया को विभिन्न प्रांतों की विविधता से परिचय करवाना है। इसके अलावा विदेशी मेहमानों की पत्नियां नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान कैंपस का दौरा भी करेंगी। यहां पर उनके लिए श्री अन्न लंच समेत अन्य व्यंजन पेश होंगे। इसमें बाजरे का बिसी बेले भात, कोफ्ता करी, बाजरे का हलवा, रागी, कुट्टु, सिंघाड़ा, ज्वार, कोदो, चौलाई आदि व्यंजन शामिल हैं।