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NEW DELHI. शुक्रवार को 125 देशों के हंगर इंडेक्स के आंकड़े जारी हुए। जिसमें भारत की रैंकिंग इस बार 4 पायदान गिरकर 111 आई है। ताज्जुब इस बात पर भी है कि इंडेक्स में पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी मुल्कों जहां भयंकर रूप से महंगाई का आलम है, उनकी स्थिति इंडिया से बेहतर बताई जा रही है। इधर सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नकारते हुए उसके मापन के तरीकों पर ही सवाल खड़े कर रही है।
यह रिपोर्ट जर्मनी की एनजीओ वेल्ट हंगर हिल्फ और आयरलैंड के एनजीओ कंसर्न वर्ल्डवाइड मिलकर जारी करते हैं। इन संस्थाओं का मकसद दुनियाभर के देशों में 4 पैमानों पर गरीबी और भुखमरी के बारे में पता लगाने का है। ये संस्थान कुपोषण, बाल मृत्यु दर और उम्र के हिसाब से वजन और लंबाई के आधार पर आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट करते हैं जिन्हें रोजाना पर्याप्त मात्रा में कैलोरी नहीं मिल रही है।
सरकार ने इसलिए बताया गलत
भारत सरकार ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग को नकार चुकी है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से यहां तक कह दिया गया है कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क बन चुका है। सरकार ने डेटा कलेक्ट करने के तरीकों पर भी सवालिया निशान लगाए हैं। सरकार का यह भी तर्क है कि मात्र 3000 हजार लोगों के सैंपल से संस्था हकीकत का पता लगाती है जो विश्वसनीय नहीं है।