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SRINAGAR. जम्मू-कश्मीर के जेल डीजी हेमंत लोहिया की घर पर ही गला रेतकर हत्या कर दी गई। उनके शरीर पर भी चोट के निशान मिले हैं। आतंकी संगठन TRF ने एचके लोहिया की हत्या की जिम्मेदारी ली है। पुलिस के मुताबिक, लोहिया का शव उनके घर पर संदिग्ध परिस्थिति में मिला था। पुलिस जांच में पता चला कि उनकी हत्या हुई है। पुलिस को उनके नौकर यासिर पर हत्या का शक है। डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि नौकर को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया गया है। वह फरार है।
लोहिया के शरीर पर जलने के निशान, गला कटा मिला
दिलबाग सिंह के मुताबिक, आरोपी ने हेमंत के लोहिया के शव को जलाने की कोशिश की। लोहिया को अगस्त में ही जम्मू-कश्मीर में महानिदेशक जेल के पद पर प्रमोट किया गया था। जम्मू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह लोहिया के घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि लोहिया के शरीर पर जलने के निशान और उनका गला कटा मिला। पुलिस के मुताबिक, घटनास्थल की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पहले लोहिया की हत्या की गई। उनका गला काटने के लिए कैचप की बोतल का इस्तेमाल किया गया। बाद में शव को आग लगाने की कोशिश की गई। लोहिया के घर के बाहर मौजूद गार्ड ने जब उनके कमरे में आग देखी, तब वे कमरे में गेट तोड़कर दाखिल हुए. कमरा अंदर से बंद था। शुरुआती जांच में यह मर्डर लग रहा है। फोरेंसिंक टीम भी जांच कर रही है।
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी थे लोहिया
लोहिया 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। लोहिया काफी लंबे समय तक सेंट्रल डेपुटेशन पर रहे, लेकिन फरवरी 2022 में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर जम्मू-कश्मीर लौट आए थे। वे होमगार्ड्स/नागरिक रक्षा/राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) में कमांडेंट जनरल के रूप में तैनात थे। वे अगस्त 2022 में प्रमोट करके DG जेल के पद पर तैनात किए गए थे।
आतंकी संगठन ने ली हत्या की जिम्मेदारी
आतंकी संगठन टीआरएफ ने हेमंत लोहिया की हत्या की जिम्मेदारी ली है। टीआरएफ का पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स नया आतंकी संगठन है। यह हाल ही में कश्मीर में गैर-स्थानीय की हत्या समेत तमाम हमलों के लिए जिम्मेदार है। टीआरएफ ने बयान जारी कर कहा कि हमारे स्पेशल स्क्वॉड ने जम्मू के उदयवाला में खुफिया ऑपरेशन को अंजाम देते हुए डीजी जेल एचके लोहिया की हत्या कर दी। यह हाईप्रोफाइल ऑपरेशंस की शुरुआत है। यह हिंदुत्व शासन और उनके सहयोगियों को चेतावनी है कि हम कहीं भी किसी पर भी हमला कर सकते हैं। यह गृह मंत्री को उनके दौरे से पहले छोटा सा गिफ्ट है। हम भविष्य में ऐसे ऑपरेशंस जारी रखेंगे।
पुलवामा हमले के बाद ही एक्टिव होने लगा था टीआरएफ
टीआरएफ का पूरा नाम द रेजिस्टेंस फ्रंट है। कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। माना जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, यह संगठन पूरे कश्मीर में एक्टिव हो गया।
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