मिलिंद बायवार, इंटरनेशनल डेस्क. 7 अक्टूबर की सुबह इजराइल पर हमास के लड़ाकों ने हमला बोल दिया। इसके बाद दोनों ओर से भीषण युद्ध शुरू हो गया है, जो लगातार जारी है। ये युद्ध यदि लंबा चलता है तो पूरी दुनिया को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे खास बात ये है कि इजराइल पर हमास के हमले का कारण इजराइली मीडिया में छपी एक तस्वीर को बताया जा रहा है। इजराइल पर हमास के हमले की इस वजह को जानने से पहले बता दें कि इजराइल दुनिया का इकलौता यहूदी देश है। वहीं हमास एक आतंकी संगठन है। हमास को 1987 में फलस्तीन शरणार्थी शेख अहमद यासीन ने बनाया था। बताया जाता है कि इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन का अरबी संक्षिप्त रूप ही हमास है।
सऊदी अरब की धरती पर यहूदी प्रार्थना
बात करते हैं उस तस्वीर के बारे में जिसने हमास को इजराइल पर हमला करने के लिए उकसा दिया। दरअसल, बात ये है कि पुराने दुश्मन रहे इजराइल और सऊदी अरब दोस्त बनते जा रहे हैं। अमेरिका की पहल पर ऐसा हो रहा है। हाल ही में कुछ इजराइली मंत्री एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए सऊदी अरब के रियाद पहुंचे थे। चूंकि इजराइली मंत्रियों की सऊदी अरब की पहली आधिकारिक यात्रा थी, इसलिए मीडिया ने बेहतर तरीके से कवर किया। इसी दौरान इजराइल के संचार मंत्री श्लोमो करही और अन्य इजराइली प्रतिनिधियों ने सऊदी अरब में सुबह की प्रार्थना में हिस्सा लिया। ये प्रार्थना उसी होटल में हुई जहां करही ठहरे थे। उस दिन यहूदी पर्व सुक्कोत भी था। इसलिए प्रार्थना के समय सभी इजराइली मंत्री परंपरागत यहूदी परिधान में थे। सभी के हाथों में यहूदियों की पवित्र पुस्तक तोरा भी थी। सऊदी अरब की धरती पर यहूदियों की ये प्रार्थना संदेश दे रही थी कि लंबी कोशिशों के बाद यहूदियों को आखिरकार मध्य-पूर्व में स्वीकार किया गया है। मीडिया में ये तस्वीर छाई रही। ये तस्वीर हमास की भावनाओं को भड़काने के लिए काफी थी। इस्लामी देश भी नाराज हुए। वहीं इस तस्वीर से यहूदी खुश थे।
जानें यहूदी पुस्तक तोरा के बारे में
सऊदी अरब में प्रार्थना के दौरान सभी इजराइली प्रतिनिधियों के हाथों में यहूदियों की पवित्र पुस्तक तोरा भी थी। दरअसल, तोरा का मतलब होता है आदेश या कानून। ये यहूदी धर्म ग्रंथ है, जिसमें इस धर्म की मूल अवधारणाएं शामिल हैं। कहा जाता है कि बाइबल की शुरुआत भी तोरा से ही होती है। मान्यता है कि तोरा पहली किताब है जिसमें खुदा ने अपने पैगम्बर हजरत मूसा के माध्यम से उनकी कौम यानी इजराइलियों को अपने आदेश-निर्देश भेजे। मुस्लिम समुदाय भी इसके महत्व को मानता है, लेकिन मुस्लिमों का कहना है कि यहूदियों ने असली किताब में परिवर्तन किया है।
यहूदी प्रार्थना में टोरा स्क्रॉल पर लिखे संदेश की भी चर्चा
इजराइली मंत्री करही के दफ्तर की ओर से जारी की गई तस्वीर में रियाद में यहूदी प्रार्थना के समय इजराइली प्रतिनिधियों ने पारंपरिक प्रार्थना शॉल पहनी और ताड़, मर्टल और विलो शाखाओं के साथ एक एट्रोग को पकड़ा। यहूदी पर्व सुक्कोत पर खास अनुष्ठान के दौरान ऐसा किया जाता है। वहीं इजराइली प्रतिनिधि एक स्थानीय यहूदी द्वारा दी गई एक छोटी टोरा स्क्रॉल भी पढ़ते हैं। स्क्रॉल को एक फेल्ट कवर में लपेटा गया था। इस पर अंग्रेजी, हिब्रू और अरबी में सिलाई के साथ लिखा था- 'यहूदी मंडली, सऊदी अरब का साम्राज्य।'
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अब दुविधा में सऊदी अरब
जानकारों का मानना है कि इजराइल-फलस्तीन (हमास) के बीच तनाव का असर अन्य देशों के साथ-साथ भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर पर भी पड़ सकता है। वहीं इजराइल के साथ दोस्ती को लेकर सऊदी अरब अब दुविधा में पड़ गया है। सऊदी अरब की ओर से जारी एक बयान अब ये संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका की मध्यस्थता में इसराइल से रिश्ते सामान्य करने के लिए बातचीत खटाई में पड़ सकती है।