नई दिल्ली. पेगासस जासूसी केस इतनी आसानी से सरकार का पीछा छोड़ने वाला नहीं है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व नेता रहे केएन गोविंदाचार्य ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। गोविंदाचार्य ने कोर्ट से 2019 में लगाई एक याचिका को दोबारा से लगाने की मांग की है। गोविंदाचार्य ने पहले ये याचिका लगाई थी, फिर इसे वापस भी ले लिया था। याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) फेसबुक, वॉट्सऐप और पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप पर कार्रवाई करे।
नई याचिका में क्या है?
गोविंदाचार्य ने नई याचिका में कहा है कि भारत में पेगासस के इस्तेमाल को लेकर निष्पक्ष जांच कराई जाए। ये जांच किसी जिम्मेदार एजेंसी को सौंपी जाए। गोविंदाचार्य ने ये भी कहा कि देश में अवैध तरीके से निगरानी रखी जा रही है। यह किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर हमला है। यह एक तरह का साइबर आतंकवाद है, जो इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत दंडनीय है।
SIT जांच की मांग
पेगासस केस में पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर SIT जांच की मांग की गई है। 5 अगस्त को हुई सुनवाई में CJI ने कहा था कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही सभी पिटीशनर्स से कहा कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को मुहैया करवाएं, ताकि कोई नोटिस लेने के लिए मौजूद रहे।
क्या है पेगासस विवाद?
खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप का दावा है कि इजराइली कंपनी NSO के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी अब तक 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।