New Delhi. कांग्रेस (Congress) को जोर का झटका जोर से लगा। 25 मई को दिग्गज कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार (UPA Govt) में मंत्री रहे कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस से इस्तीफा देकर अब सिब्बल ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा है। 25 मई को लखनऊ में सिब्बल ने अपना नामांकन (Sibal Nomination) भरा। इस दौरान उन्होंने बताया कि वे 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल के नामांकन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP Supremo Akhilesh Yadav) और रामगोपाल यादव (Ramgopal Yadav) भी मौजूद रहे। सिब्बल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है, जिन्हें सपा समर्थन दे रही है।
New Delhi. कांग्रेस (Congress) को जोर का झटका जोर से लगा। 25 मई को दिग्गज कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार (UPA Govt) में मंत्री रहे कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस से इस्तीफा देकर अब सिब्बल ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा है। 25 मई को लखनऊ में सिब्बल ने अपना नामांकन (Sibal Nomination) भरा। इस दौरान उन्होंने बताया कि वे 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल के नामांकन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP Supremo Akhilesh Yadav) और रामगोपाल यादव (Ramgopal Yadav) भी मौजूद रहे। सिब्बल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है, जिन्हें सपा समर्थन दे रही है।
मसला ये है
सिब्बल अभी UP से कांग्रेस कोटे से सांसद हैं, लेकिन इस बार UP में पार्टी के पास इतने ही विधायक (सिर्फ दो विधायक) नहीं हैं, जो उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सकें। लिहाजा, सिब्बल के फ्यूचर को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, अब सपा के टिकट पर नामांकन दाखिल कर उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। जब कांग्रेस में सिब्बल के टिकट पर सस्पेंस बरकरार था, उस वक्त 3 बड़ी विपक्षी पार्टियां उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने को तैयार थीं। यूपी से सपा, बिहार से राजद (RJD) और झारखंड से झामुमो (JMM) सिब्बल को राज्यसभा भेजने का मूड बना चुकी थीं। हालांकि, सिब्बल ने अखिलेश के साथ जाने का मन बनाया। सिब्बल पिछले दिनों कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी शामिल नहीं हुए। उन्होंने मार्च में एक इंटरव्यू के दौरान गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला था।
इसलिए तीन पार्टियां सिब्बल को थामना चाहती थीं...
1. आजम की दूर हो सकती हैं मुश्किलें
माना जा रहा है कि अखिलेश इस मौके को आजम खान (Azam Khan) की उपेक्षा और रिहा होने के बाद के हावभाव के बीच भुनाना चाहते हैं। आजम खान ने जेल से बाहर आने के बाद कहा था कि मेरे विनाश में मेरे चाहने वालों का हाथ है। कहा जा रहा था कि अगर सिब्बल, सपा की मदद से राज्यसभा जाते हैं तो ये आजम की नाराजगी दूर करने में कारगर कदम साबित हो सकता है। साथ ही सपा को एक बड़ा नेता और कानूनी सलाहकार भी मिल जाएगा।
2. राजद: कानूनी पचड़ों में फंसे लालू परिवार के लिए सिब्बल जरूरी
चारा घोटाला (Fodder Scam) में लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) का केस लड़ रहे सिब्बल को राजद बिहार से राज्यसभा भेजने का मूड बना रही थी। राजद को बिहार में इस बार राज्यसभा की 2 सीटें मिलनी तय हैं। ऐसे में एक सीट पर पार्टी सिब्बल को Upper House में भेजना चाहती थी। इसकी बड़ी वजह लालू परिवार का कानूनी पचड़ों में फंसना बताया जा रहा है।
सिब्बल अभी चारा घोटाला से जुड़े केस में लालू के वकील हैं। इसके अलावा, लालू के ठिकानों पर पिछले दिनों ही CBI की रेड पड़ी है। तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर भी एक मामले में केस दर्ज है। ऐसे में राजद कपिल सिब्बल को साथ जोड़कर लीगल तौर पर मजबूत होने की तैयारी में थी। इससे पहले 2016 में लालू यादव वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को भी राज्यसभा भेज चुके हैं।
3. झामुमो: खतरे में पड़ी CM कुर्सी बचाने में जुटे हेमंत
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ दिनों से मुश्किलों में घिरे हुए हैं। उन पर मंत्री रहते माइंस की लीज लेने का आरोप है। इस मामले में सदस्यता रद्द करने का केस चुनाव आयोग के पास विचाराधीन है। इसके साथ ही यह मामला कोर्ट में भी गया है। कोर्ट में सोरेन की तरफ से इस मामले की पैरवी कपिल सिब्बल ही कर रहे हैं।
पांच राज्यों में हार के बाद गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा
UP, पंजाब समेत 5 राज्यों की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोला था। एक इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि घर की कांग्रेस नहीं अब सबकी कांग्रेस होगी। कहा- कांग्रेस में अध्यक्ष ना होते हुए भी फैसला राहुल गांधी ले रहे हैं, जबकि हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता।
पूरी खबर पढ़ें- घर की नहीं, सबकी कांग्रेस हो; नतीजों ने नहीं चौंकाया, ये तो होना ही था- सिब्बल
10 सीटों के लिए कांग्रेस में उम्मीदवारों की लंबी कतार
राज्यसभा चुनाव में इस बार 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इनमें राजस्थान-छत्तीसगढ़ के 2-2, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की एक-एक सीटें शामिल हैं। हालांकि, इन 10 सीटों के लिए दावेदारों की लंबी लाइन है, इनमें पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, अविनाश पांडे, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, सुबोधकांत सहाय और रणदीप सुरजेवाला जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के सामने सिलेक्शन करना मुश्किल होगा। कांग्रेस ने पिछले दिनों चिंतन शिविर में घोषणा की थी कि अब संगठन और अन्य पदों पर 50 साल से कम उम्र के लोगों को 50% हिस्सेदारी दी जाएगी।
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल की कर रहे पैरवी
कपिल सिब्बल 2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। सिब्बल, वीपी सिंह की सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। वहीं 2016 में कांग्रेस ने उन्हें UP से राज्यसभा भेजा था। सोनिया-राहुल गांधी पर चल रहे नेशनल हेराल्ड केस में पैरवी भी कर रहे हैं। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल समेत 5 नेताओं पर आरोप है कि हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से इस्तेमाल किया, जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। इस मामले में सोनिया-राहुल जमानत पर हैं।